उत्तराखंड में मानसून ने दस्तक दे दी है और सरकार का दावा है कि तमाम तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। लेकिन जैसे ही आसमान से बूंदें टपकती है, जमीन की हकीकत खुद ब खुद सामने आ जाती है।जहां एक तरफ नगर निगम ड्रेनेज सिस्टम से लेकर जेसीबी तैनाती तक की बातें कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ शहर की गलियों और मुख्य सड़कों पर घुटनों तक भरे पानी, गड्ढों में तब्दील हुई सड़कें और जाम की झांकती तस्वीरें इस तैयारी पर सवाल खड़े कर रही हैं।मौसम विज्ञान केंद्र के विक्रम सिंह ने चेतावनी दी है कि 24 जून से भारी बारिश प्रदेश में हो सकती है साथ ही आगे 5 दिनों में भरी बारिश के साथ मानसून गरजेगा यानी खतरे की घंटी बज चुकी है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नगर निगम और प्रशासन इस चुनौती के लिए वाकई तैयार है, या फिर हर साल की तरह इस बार भी बारिश के नाम पर बर्बादी का मौसम दस्तक देने वाला है.मानसून की पहली बारिश ने हालही में शुक्रवार देर रात उत्तरकाशी के मोरी में एक दंपति सहित दो बच्चों की जान ले ली वही यमुनोत्री केदारनाथ में भी यात्रा के पैदल पड़ाव पर यात्रियों के ऊपर मलबा आने से मौत हो गई विपक्ष भी अब सवाल खड़े कर रहा है स्मार्ट सिटी के आधे अधूरे कामों को लेकर हर साल की तरह इस बार भी सिर्फ खानापूर्ति हुई है। कैमरे के सामने ड्रेनेज सफाई की तस्वीरें जरूर आईं, लेकिन नतीजे ज़मीनी हालातों में क्यों नहीं दिखते। कुल मिलाकर, सवाल एक ही है क्या उत्तराखंड की राजधानी हर साल इसी चक्रव्यूह में फंसती रहेगी या फिर कभी कोई ऐसी रणनीति बनेगी जो मानसून को चुनौती नहीं, बल्कि आमंत्रण समझेगी बिना डर के, बिना जलभराव के, एक तैयार देहरादून के साथ।
मानसून की दस्तक देने से पहले ही देहरादून नगर निगम और प्रशासन ने दावा किया था कि इस बार लोगों को जलभराव का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि शहर के सभी नदी-नाले को साफ कर दिए गए है. लेकिन हाल में हुई देहरादून में मूसलाधार बारिश से, शहर जलमग्न हो गया. कही लोगो को सड़को में गड्डो की वजह से जलभराव का सामना करना पड़ा तो कही जगह प्रदेश में सड़के बंद होने की सुचना भी आई ये हाल तब है जब मानसून ने अभी प्रदेश में पूरी तरह से दस्तक भी नहीं दी वही चारधाम सहित अन्य प्रदेश के रूट को लेकर कई क्षेत्रों में कई स्थानों पर जल भराव होने से बाढ़ जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है। इन सब स्थितियों से निपटने के लिए उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग ने पहले से ही अपनी तमाम तैयारियां कर ली हैं। 30 जून को कई जगहों पर बाढ़ के हालातों से निपटने के लिए मॉक ड्रिल किया जाएगा। इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्रों में लैंडस्लाइड जैसी घटनाओं के बाद बंद हुई सड़कों को जल्द से जल्द कैसे खोला जाए इसको लेकर सभी अधिकारियों को निर्देश भी दिए गए हैं।वही मौसम भी बार बार सचेत कर रहा है।
हालांकि शासन प्रशासन का का दावा है की सब कुछ ठीक है मगर भाजपा के विधायक व पूर्व मेयर का तो ये भी मानना है की काम सरकार की और से सही हो रहा है लेकिन अधिकारी काम नहीं कर रहे अब आप ही बताए अगर सरकार के मान्य ही ऐसे बयान देंगे तो जनता को तो मानसून में परेशानी तो झेलनी ही पड़ेगी वही विपक्ष ने जनता की परेशानियों को लेकर मानसून की दस्तक पर कमियों को सरकार और सिस्टम को घेरा
कुल मिलाकर के करोड़ों की लागत से प्रदेश में स्मार्ट सिटी को लेकर विपक्षी दलों का हल्ला जारी है तो वहीं मानसून ने भी उत्तराखंड में दस्तक दे दी है अभी तक बीते वर्षों में जब भी मानसून आया है हमेशा जान माल के साथ बड़ा नुकसान देखने को मिला है शहरों में जलभराव की स्थिति पैदा हो जाती है तो वही पहाड़ों पर लैंडस्लाइड होने की वजह से रास्ते बाधित हो जाते हैं हालांकि सरकार हर साल मानसून आने से पहले तमाम तैयारियां का दावा जरूर करती है लेकिन जमीनी स्तर पर नहीं देखा जाता है वहीं कहीं ना कहीं इसकी परेशानी जनता को ही झेलनी पड़ती है आखिर कब ऐसा मानसून आएगा जब इस प्रदेश की स्थिति जलभराव के साथ-साथ अन्य बारिश की दिक्कतों से दूर हो पाएगी?