उत्तराखंड: सीबीआई के हवाले, LUCC के घोटाले !

उत्तराखंड- उत्तराखंड में कई घरों को बर्बाद कर चुके LUCC घोटाला में सरकार हरकत में आ गयी है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 230 करोड़ रुपये के चर्चित एल यूसीसी चिटफंड घोटाले की जांच अब सीबीआई को सौंप दी है। बीते बुधवार को मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए यह महत्वपूर्ण आदेश दे दिया है। सुनवाई के दौरान सीबीआई के अधिवक्ता अदालत में पेश हुए और जांच की जिम्मेदारी लेने पर सहमति जताई। अदालत में सीबीआई की ओर से औपचारिक अनुमति पत्र भी प्रस्तुत कर दिया गया है। इस मामले की अब तक की जांच पुलिस कर रही थी। पुलिस की ओर से अदालत को बताया गया कि अलग-अलग जिलों में कई मुकदमे दर्ज हैं और कुछ मामलों की जांच चल रही है। हालांकि पीड़ित पक्ष ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि अभी तक कई पीड़ितों की एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई है। जब तक मुकदमे दर्ज नहीं होंगे. तब तक जांच आगे बढ़ ही नहीं सकती। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पूरा मामला सीबीआई को सौंपते हुए पीड़ितों से अपनी शिकायतें और संबंधित दस्तावेज सीधे सीबीआई को उपलब्ध कराने का निर्देश दे दिए है। वही विपक्ष ने सरकार के सामने गम्भीर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार को यह कदम बहुत पहले उठाना चाहिए था।

एल यूसीसी यानी लोनी अर्बन मल्टी-स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसाइटी. चिट फंड कंपनी घोटाले में याचिकाकर्ताओं के अनुसार वर्ष 2021 में एल यूसीसी नामक चिटफंड कंपनी ने देहरादून, ऋषिकेश, पौड़ी सहित कई जिलों में दफ्तर खोले. कंपनी ने निवेशकों को ऊंचे मुनाफे और अन्य प्रलोभनों का लालच देकर करोड़ों रुपये इकट्ठा किए। वर्ष 2023-24 में यह कंपनी अचानक निवेशकों का पैसा लेकर फरार हो गई। जांच में पता चला कि एल यूसीसी कंपनी न केवल उत्तराखंड बल्कि अन्य राज्यों में भी निवेशकों से ठगी कर चुकी है। अब तक उसके खिलाफ कुल 56 मुकदमे दर्ज पाए गए हैं। मुख्य आरोपी के दुबई भागने की भी पुष्टि हुई है। याचिकाकर्ताओं ने अपनी अर्जी में सरकार और अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कराने की मांग की थी। हाईकोर्ट के ताजा आदेश के बाद अब यह पूरा मामला सीबीआई की जांच के दायरे में आ गया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद पीड़ित निवेशकों ने राहत की सांस ली है। उनका मानना है कि अब इस घोटाले की सच्चाई सामने आ सकेगी और दोषियों को सजा मिल पाएगी।उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने एलयूसीसी चिटफंड कंपनी के द्वारा उत्तराखण्ड के निवासियों से 230 करोड़ रुपये का चुना लगाकर 2024 में फरार होने और अब तक इस कम्पनी के खिलाफ कोई कार्यवाही न किए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए मामले में CBI जांच के आदेश जारी कर दिए है। आपकों बता दे कि ऋषिकेश निवासी आशुतोष शर्मा ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड में एलयूसीसी नामक चिटफंड कंपनी ने वर्ष 2014 से लोगों को पैसा दुगना करने व अन्य बैंकों से अधिक ब्याज देने का लालच देकर पैसा जमा कराया और इस काम के लिए स्थानीय लोगो को कंपनी में नौकरी दी गई। जब लोगों का पैसा लौटाने का समय आया तो वर्ष 2023 में कम्पनी के लोगो की गाढ़ी कमाई का 230 करोड़ रुपये लेकर फरार हो गई। याचिकाकर्ता का कहना है कि उक्त कम्पनी के खिलाफ न तो राज्य सरकार ने कोई एफआईआर दर्ज कराई गई और न ही चिटफंड कंपनी से लोगों का पैसा वापस दिलाने के कोई प्रयास किए गए। जिससे क्षुब्ध होकर उन्हें न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। याचिका में कहा गया है कि इससे पहले भी कई चिटफंड कम्पनियों का शिकार राज्य की भोली जनता हो चुकी है। इसलिए राज्य सरकार इन पर लगाम लगाए। और उनका पैसा वापस दिलाया जाय।

आपको बता दे बीते दिनों उत्तराखण्ड में सामने आए LUCC फ्रॉड मामले को लेकर हरिद्वार सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी, नैनीताल सांसद अजय भट्ट और टिहरी सांसद महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह ने केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। सांसदों ने उत्तराखंड के हजारों गरीब, ग्रामीण निवेशकों की मेहनत की कमाई को ठगने वाले LUCC प्रोमोटर्स के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह से आग्रह किया था कि इन अपराधियों को इंटरपोल की मदद से भारत लाकर न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाए. ताकि पीड़ितों को शीघ्र न्याय और उनकी धनराशि की वापसी सुनिश्चित की जा सके। सांसदों ने यह भी कहना था कि राज्य सरकार ने इस मामले की जांच की संस्तुति पहले ही कर दी थी। इस घोटाले में शामिल लोगों को सख्त सजा दिलाकर भविष्य में इस प्रकार की ठगी को रोका जाना अत्यंत आवश्यक है। गृहमंत्री अमित शाह ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया था कि इस मामले में कठोरतम कार्रवाई की जाएगी और दोषियों को उनके कृत्य की सजा अवश्य मिलेगी। यह मामला केवल आर्थिक अपराध नहीं. बल्कि आम जनता के विश्वास से जुड़ा हुआ है. और इसके समाधान के लिए सभी स्तरों पर गंभीर प्रयास किए जाएंगे। गृह मंत्री ने आश्वस्त करते हुए कहा था कि वे इस मामले पर कड़ा एक्शन लेंगे और दोषियों को उनके किये की सजा भुगतनी ही होगी. जिसके चलते अब lucc पर cbi ने अपनी जांच शुरू कर दी है।

आपको बता दे उत्तराखंड में LUCC नामक चिटफंड कंपनी ने करीब 11 साल पहले 2014 से लोगों को पैसा दोगुना करने और अन्य बैंकों से अधिक ब्याज देने का लालच देकर, पैसे जमा कराए. स्थानीय लोगों को कंपनी में नौकरी भी दी गई, जिससे आसानी से पैसा जमा करा सकें. जब निवेशकों का पैसा लौटाने का समय आया, तो 2023 में कंपनी के पदाधिकारी करोड़ों रुपए लेकर फरार हो गए. पीड़ित इस मामले को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट भी गए. ऐसी आशंका है कि कंपनी ने 189 करोड़ से ज्यादा का घपला किया है.जिस पर उत्तराखंड के 4 सांसदों ने गृहमंत्री अमित शाह से इस मामले को लेकर गुहार लगाई है ये उत्तराखंड में चिटफंड में घोटाले का पहला मामला नहीं है। इस पहले भी कई छोटे बड़े मामले प्रदेश में देखने को मिले है लेकिन सांसदों के गृहमंत्री की मुलाकात को लेकर ये मामला और बड़ा हो जाता है और साथ ही विपक्ष को फिर एक बार सरकार को घेरने का मौका जरूर मिल गया है।