उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कौशल विकास में हुए 313 करोड़ के घोटाले मामले की हुई सुनवाई

रिपोर्ट – कान्ता पाल

नैनीताल – उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कौशल विकास योजना के तहत कोरोना काल से अब तक हुए 313 करोड़ के घोटाले मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट की खंडपीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से मौखिक तौर पर पूछा है कि क्या इस मामले पर सीबीआई की जांच कराई जा सकती है। इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने अगली तारीख  30 जुलाई की तिथि नियत की है।

सभी रिकार्ड उपलब्ध कराने के निर्देश

बता दें कि याचिकाकर्ता ने अपनी जनहित याचिका में केंद्र सरकार, उत्तराखण्ड सरकार सहित निदेशक कौशल विकास, सचिव कौशल विकास, नोडल अधिकारी कौशल विकास को पक्षकार बनाया गया है। पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार से उक्त मामले के सभी रिकार्ड उपलब्ध कराने के निर्देश जारी करने के साथ ही याचिकाकर्ता को घोटाले में शामिल निजी कंपनियों और एनजीओ को पक्षकार बनाने को कहा था।

कोविड महामारी के दौरान गड़बड़ी की गयी

आपकों बता दें कि हल्द्वानी आवास विकास कालोनी निवासी एहतेशम हुसैन खान उर्फ विक्की खान व अन्य की तरफ से उच्च न्यायालय में जनहित दायर कर कहा है कि उत्तराखंड में केन्द्र सरकार के सहायतित कौशल विकास योजना में कोविड महामारी के दौरान गड़बड़ी की गयी है। कोरोना काल के दौरान जब सभी प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगी थी लेकिन इस अवधि में प्रशिक्षण के नाम पर लगभग 313 करोड़ की धनराशि हड़प ली गयी। प्रदेश सरकार दोषियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। जबकि इस घोटाले में अधिकारी सहित करीब 27 एनजीओ भी शामिल है।

कौशल विकास प्रशिक्षण योजना के नाम पर कई अनियमितताएं

याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रदेश में चल रही कौशल विकास प्रशिक्षण योजना के नाम पर कई अनियमितताएं बरती गई और अकेले कोरोना काल में प्रदेश के 55 हजार छात्रों को प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग कराकर उन्हें नौकरी तक आवंटित कर दी। ऐसे लोगों के नाम पर धन दिया जोकि जो इस दुनिया मे हैं ही नहीं या जो 18 साल से कम उम्र के है और पूरी तरह से अपने माता पिता पर निर्भर हैं। जिन छात्रों के आधारकार्ड लगाए गए हैं वे पूरी तरह फर्जी हैं।

सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग

इस पूरे फर्जीवाड़े में केंद्र सरकार की योजना को 313 करोड़ का चूना लगा दिया गया है। जबकि कोरोना के समय ये प्रशिक्षण कराया जाना असम्भव था। जनहित याचिका में इसकी जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग की गई है।

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