उत्तराखंड: सरकार के फैसलों पर भारी,बगावती सुर जारी !  

उत्तराखंड- ऑनलाइन रजिस्ट्री और यूसीसी में विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया के खिलाफ प्रदेशभर में वकील विरोध कर रहे हैं। देहरादून में भी वकीलों ने एक दिन पूरी तरह कार्य का बहिष्कार किया जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उत्तराखंड के अधिवक्ताओं का कहना है कि यूसीसी और रजिस्ट्रिी की ऑनलाइन प्रक्रिया से उनके काम को छीना जा रहा है। दरअसल, ऑनलाइन रजिस्ट्री प्रक्रिया से खरीददार और विक्रेता घर बैठे ही रजिस्ट्री करा सकते हैं। विवाह, वसीयत समेत कई काम भी पहले अधिवक्ता करवाते थे, इससे उनके साथ काम करने वाले तमाम स्टाफ की रोजी-रोटी पर संकट आ रहा है। अधिवक्ताओं के अनुसार अगर रजिस्ट्री और यूसीसी के प्रावधानों में बदलाव न किया गया तो प्रदेशभर में कार्य बहिष्कार किया जाएगा। कहीं न कहीं पेपरलेस रजिस्ट्री और यूसीसी के खिलाफ उतरे अधिवक्ताओं के कारण आम लोगों के कई काम प्रभावित हो रहे हैं। भाजपा जहां इसे अपनी उपलब्धियों के रूप में सामने रख रही है वहीं कांग्रेस और विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हैं।

यूसीसी और ऑनलाइन रजिस्ट्री के खिलाफ अधिवक्ताओं के साथ ही स्टांप वेंडर, टाइपिस्ट, मुंशी मुखर हो गए हैं। एक दिन पहले राजधानी देहरादून के साथ विविन्न कचहरियों में वकीलों के साथ ही सभी अन्य जुड़े कर्मचारियों ने हड़ताल की। देहरादून कचहरी में सैकड़ों अधिवक्ता और उनसे जुड़े तमाम स्टाफ के लोगों ने कचहरी परिसर परिसर में हड़ताल पर रहे और उन्होंने डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। अधिवक्ताओं का कहना है कि उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता में विवाह के पंजीकरण की ऑनलाइन व्यवस्था और रजिस्ट्री की ऑनलाइन प्रक्रिया की तैयारी से नाराज अधिवक्ताओं ने विरोध किया। अधिवक्ताओं के अनुसार जमीनों की रजिस्ट्री प्रक्रिया पेपरलैस होने जा रही है। इससे उनके काम पर असर पड़ रहा है। वहीं, यूसीसी लागू होने से विवाह और वसीयत पंजीकरण भी साइबर कैफे से ऑनलाइन हो रहे हैं। पहले यह सभी कार्य अधिवक्ता करवाते थे इससे उनके अधिकार छीने गए हैं। यूसीसी में अधिवक्ताओं के माध्यम से होने वाले कार्य को ब्लॉक स्तर के कर्मचारियों को सौंपा जा रहा है जिससे उसकी सत्यनिष्ठा पर भी सवाल उठेंगे।

पिछले माह 27 जनवरी को उत्तराखंड में यूसीसी कानून लागू होने के बाद इसका विरोध भी सामने आ रहा है। कई लोग जहां इसको हाईकोर्ट में चुनौती दे रहे हैं, वहीं अधिवक्ता भी अब इसकी ऑनलाइन प्रक्रिया के साथ ही ब्लाक स्तर के अधिकारियों के पास सीधे ऑनलाइन आवेदन का विरोध कर रहे हैं। इसके साथ ही अब उत्तराखंड सरकार पेपरलेस रजिस्ट्री को लेकर तैयारी कर रही है, इसका विरोध भी राज्य के अधिवक्ता कर रहे हैं। सरकार 18 फरवरी से होने जा रहे विधानसभा सत्र में पेपरलेस रजिस्ट्री का नियम पास करने जा रही है। इसके बाद अब कोई भी खरीददार हो या विक्रेता सीधे घर बैठे अपनी रजिस्ट्री करवा सकते हैं। ऐसे में कहीं न कहीं वकीलों के माध्यम से होने वाले शादी, वसीयत, गोदनामा आदि की प्रक्रिया का काम सीधे सीधे वकीलों के हाथ से छीना जा रहा है। प्रदेश में हजारों अधिवक्ताओं और इनसे जुड़े लोगों को इससे दूर किया जा रहा है। वहीं, भाजपा का कहना है कि अधिवक्ताओं ने सीएम को ज्ञापन भेजा है, उनकी सरकार उद्देश्य सबका साथ सबका विकास है। ऑनलाइन प्रक्रिया में भी अधिवक्ताओं की अनदेखी नहीं की जाएगाी। वहीं, कांग्रेस ने धामी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यूसीसी से प्रदेश की विरासत, संस्कृति को खंड-खंड करने का काम किया जा रहा है।

उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद उत्तराखंड का पहला राज्य तो बन गया है, लेकिन इस कानून के लागू होने के बाद तमाम तरह के विरोध सामने आ रहे हैं। कई लोग नैनीताल हाईकोर्ट में इस कानून के विरोध में वाद दायर कर रहे हैं, वहीं वकील इसका विरोध तो नहीं कर रहे हैं, लेकिन इसको लागू करने वाली प्रक्रिया का विरोध किया जा रहा है। उनका कहना है कि पहले जिस तरह से शादी, वसीयत आदि के पंजीकरण होते थे, उसी तरीके से किए जाएं। साथ ही वर्चुअल आनलाइन रजिस्ट्री का भी वकील विरोध कर रहे हैं। वकीलों का कहना है कि अगर जल्द इन दोनों मामलों में संशोधन नहीं किया गया तो पूरे प्रदेश में हड़ताल की जाएगी। देखना होगा कि सरकार इनकी मांगों को कितनी गंभीरता से लेती और क्या संशोधन आने वाले समय में किया जाता है।

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