उत्तराखंड: धूमधाम से मनाया गया मां नैना देवी मंदिर का स्थापना दिवस, माता के दर्शन के लिए लगी रही भक्तों की लंबी कतारें

रिपोर्ट – कान्ता पाल

नैनीताल –  देश भर में 51 शक्तिपीठों में से सामिल नैनीताल की मां नैना देवी मंदिर का स्थापना दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। जिसमें स्थानीय लोगों के साथ नैनीताल पहुंचे पर्यटकों ने भी बड़ी संख्या में प्रतिभाग किया। सुबह से ही मां नैना देवी मंदिर में माता के दर्शन और पूजा – अर्चना के लिए भक्तों की लंबी कतारें लगी रही।

नैना देवी का मंदिर कहाँ है? - Quoraहर वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल की नवमी को मनाया जाता है स्थापना दिवस

बता दें कि 51 शक्तिपीठों में से शामिल 1884 में स्थापना के बाद से ही ज्येष्ठ शुक्ल की नवमी को हर वर्ष मां नैना देवी मंदिर का स्थापना दिवस मनाया जाता रहा है। आज 15 जून को स्थापना दिवस के अवसर पर मंदिर समिति द्वारा महा भण्डारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर सुबह से ही माँ नैना देवी मंदिर में माता के दर्शन और पूजा – अर्चना के लिए भक्तों की लंबी कतारें लगी रही|

मान्यता है कि राजा दक्क्ष ने जब अपने घर में यज्ञ करवाया तो अपनी बेटी सती व दामाद शिव को इसका न्यौता नहीं दिया, गुस्से में आकर मां सती अपने पिता के घर गई और पिता से यज्ञ में भगवान शिव को स्थान न दिए जाने को लेकर कहा सुनी होने पर हवन कुण्ड में अपने प्राणों की आहूति दे दी। जब शिव सती के जले शरीर को आकाश मार्ग से गुजर रहे थे, तो नैनीताल में मां सती की बायी आंख गिरी, तभी से ही मां नैना की पूजा यहां की जाती है। इसके साथ ही जहां मां का जो अंग गिरा उसकी पूजा उसी जगह की जाती है। मां सती के आंख के यहां गिरने से ही यहां का नाम भी नैनीताल पड़ा| यही कारण है की झील की आकृति भी आंख की तरह से ही बनी है। मां नयना के प्रति अपार आस्था जुड़ी होने के साथ मांगी गई हर मनोकामना भी पूरी यहां पूरी होती है।

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