रिपोर्ट – जीवन सिंह नयाल
उत्तराखंड – भीषण गर्मी के कारण मैदानी क्षेत्रों का जल स्तर काफी नीचे चला गया। इस समय उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्र में भीषण गर्मी पड़ रही है। भीषण गर्मी से जनजीवन प्रभावित हो रहा है| बढ़ते तापमान कि बात की जाए तो 42 डिग्री के आसपास है। हैंड पंप नदी नाले सब सुखने के कगार में है। मनुष्य के साथ-साथ जीव जंतु भी पानी के लिए परेशान है |
किसान व जिला प्रशासन भी चिंतित
बता दें कि उत्तराखंड में भीषण गर्मी के कारण मैदानी क्षेत्र का जल स्तर काफी नीचे चला गया है| इसी को लेकर क्षेत्र के किसान व जिला प्रशासन भी चिंतित है। कुछ वर्षों पूर्व तक मैदानी क्षेत्र में नदी नाले तालाब पानी से भरा हुआ होते थे लेकिन वर्तमान समय में नदी नाले तालाब व आर्टिजन हैंडपंप सब सुख रहे हैं। जिसका मुख्य कारण तराई क्षेत्र में लगने वाली बेमौसमी धान की फसल भी है | बेमौसमी धान की फसल लगभग दो से ढाई महीने में तैयार हो जाती है | बेमौसमी धान की फसल में पानी की ज्यादा आवश्यकता होती है । इसका दूसरा कारण उधम सिंह नगर के तराई क्षेत्र के हरे भरे वृक्षों को काटकर भूमाफियाओं द्वारा कंक्रीट के जंगल खड़े करना भी है।
पानी का स्तर नीचे जाना बहुत गंभीर समस्या
सभी लोगों को जागरूक होना पड़ेगा पेड़ पौधे नहीं रहेंगे तो आने वाले समय में पानी की समस्या होगी व किसानों को भी विशेष ध्यान रखना होगा बेमौसमी धान फसल ना लगाये, नहीं तो आने वाले समय में पानी के लिए लंबी-लंबी लाइन लगानी पड़ेगी और मैदानी क्षेत्र में स्थिति खराब होने की संभावना है जिलाधिकारी ने कहां की पानी का स्तर नीचे जाना बहुत गंभीर समस्या है हमने वैज्ञानिक किसान बंधु एवं उद्योगपतियों से भी बात कि किसानों द्वारा अप्रैल माह में बोई जाने वाली वे मौसमी धान की जगह दलहन की खेती कराई जाएगी जिससे आने वाले समय में पानी का का स्तर बना रहे।