उत्तराखंड: चुनाव पर संग्राम, तीन महीने और विराम!

उत्तराखंड- उत्तराखंड में निकाय चुनाव पर एक बार फिर असमंजस के बादल मंडराने लगे हैं। धामी सरकार ने एक बार फिर प्रशासकों का कार्यकाल तीन माह के लिए बढ़ा दिया है। राज्य सरकार के इस फैसले से इस साल निकाय चुनाव हो पाएंगे इसकी संभावना लगभग खत्म हो गई है। आपको बता दें कि प्रदेश के 100 नगर निकायों का पांच वर्ष का कार्यकाल पिछले साल दो दिसंबर 2023 को खत्म होने के बाद इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। इसके बाद धामी सरकार ने जून 2024 में तीन माह के लिए प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया था। प्रशासकों का यह कार्यकाल सितंबर माह में पूरा हो रहा था। इसको देखते हुए सरकार ने अगस्त माह में एक बार फिर तीन माह के लिए प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया है। वहीं विपक्ष का आरोप है कि सरकार हार के डर से निकाय चुनाव नहीं कराना चाहती है। जबकि सरकार का तर्क है कि वह निकाय चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है। वहीं राज्य में निकाय चुनाव के बीच केदारनाथ उपचुनाव भी नजदीक आ रहे हैं जिसके लिए सभी राजनीतिक दलों ने तैयारी तेज कर दी है। भाजपा की ओर से बड़े स्तर पर सदस्यता अभियान भी चलाया जा रहा है। इसके तहत तीन सितंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर धामी पार्टी प्रदेश मुख्यालय पहुंचकर पार्टी की सदस्यता लेंगे। इसके बाद विधायक से लेकर पदाधिकारी तक घर-घर जाकर सदस्यता अभियान का आगाज करेंगे। वहीं कांग्रेस का कहना है कि भाजपा को नए सदस्य नहीं मिल रहे हैं इसलिए मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक को दोबारा पार्टी का सदस्य बनना पड़ रहा है। सवाल ये है कि एक ओर तो सरकार बार बार प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाकर निकाय चुनाव को टाल रही है तो वही दूसरी ओर सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है आखिर बिना चुनाव सदस्यता अभियान का क्या लाभ होगा

 देवभूमि उत्तराखंड में निकाय चुनाव लगातार टलते हुए दिखाई दे रहे हैं। राज्य सरकार ने एक बार फिर प्रशासकों का कार्यकाल तीन माह के लिए फिर बढ़ा दिया है। बता दें कि प्रदेश के सौ नगर निकायों का पांच वर्ष का कार्यकाल पिछले साल दो दिसंबर 2023 को खत्म होने के बाद इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। इसके बाद धामी सरकार ने जून और अब अगस्त महीने में भी तीन तीन माह के लिए प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा चुकी है। सरकार के इस फैसले के बाद राज्य में सियासत गरमा गई है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार हार के डर से निकाय चुनाव नहीं कराना चाहती है। जबकि सरकार का तर्क है कि वह निकाय चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है लेकिन कुछ शेष जरूरी कार्यों को पूरा करना है जिसकी वजह से प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाया गया है।

वहीं निकाय चुनाव के बीच राज्य में केदारनाथ का उपचुनाव भी होना है जिसको जीतने के लिए भाजपा- कांग्रेस ने पूरी ताकत लगा रखी है। कांग्रेस हाल ही में उपचुनाव में मिली जीत से उत्साहित है जबकि भाजपा केदारनाथ उपचुनाव में भारी बहुमत से जीत का दावा कर रही है। इस बीच पार्टी की ओर से बड़े स्तर पर सदस्यता अभियान भी चलाया जा रहा है। इसके तहत तीन सितंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर धामी पार्टी प्रदेश मुख्यालय पहुंचकर पार्टी की सदस्यता लेंगे। इसके बाद विधायक से लेकर पदाधिकारी तक घर-घर जाकर सदस्यता अभियान का आगाज करेंगे। वहीं कांग्रेस का कहना है कि भाजपा को नए सदस्य नहीं मिल रहे हैं इसलिए मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक को दोबारा पार्टी का सदस्य बनना पड़ रहा है।

कुल मिलाकर राज्य में भाजपा कांग्रेस, समेत तमाम राजनीतिक दल चुनाव को लेकर काफी उत्साहित हैं और सभी दल जीत का दावा भी कर रहे हैं हालांकि राज्य में निकाय चुनाव को लेकर सस्पेंस खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है और अब एक बार फिर प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ने से इस साल निकाय चुनाव हो पाएंगे इसकी संभावना भी करीब करीब खत्म हो रही है, सवाल ये है कि आखिर क्यों सरकार बार बार प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाकर निकाय चुनाव को टाल रही है। सवाल ये है कि आखिर कब राज्य में निकाय चुनाव होंगे?

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