उत्तराखंड- उत्तराखंड लोकसभा की पांचों सीटें जीतने के बाद अब भाजपा की निगाहें प्रदेश की दो विधानसभा के उपचुनाव, निकाय चुनाव और पंचायत चुनावों पर है| माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में मिली जीत से भाजपा उत्साहित हैं| ऐसे में जल्द ही राज्य में आगामी चुनाव संभव है| वहीं राज्य के चार नगर निकायों में सीमा विस्तार और परिसीमन पूरा होने के बाद अब राज्य निर्वाचन आयोग यहां की मतदाता सूची पुनरीक्षण कराएगा, जो नए इलाके इन निकायों में शामिल हुए हैं, उनके निवासियों की वोटर कार्ड बनाने का काम 15 जून से शुरू होने जा रहा है|
बता दें कि चार नगर निकायों में परिसीमन का काम पूरा न होने की वजह से शहरी विकास विभाग ने इनका प्रस्ताव राज्य निर्वाचन आयोग को नहीं भेजा था लेकिन अब परिसीमन पूरा होने के बाद प्रस्ताव भेजा तो राज्य निर्वाचन आयुक्त ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी| बता दें कि अभी तक राज्य निर्वाचन आयोग 102 में से 93 निकायों में चुनाव की तैयारी कर रहा था|
इस बीच नगर निगम रुड़की का कार्यकाल नवंबर में तो नगर पालिका बाजपुर का कार्यकाल जुलाई में पूरा हो रहा है| इस तरह इन दोनों को मिलाकर 95 नगर निकाय हो जाएंगे| इसके अलावा जिन चार निकायों में वोटर लिस्ट बनाने का काम शुरू होने जा रहा है, वहां भी इसके साथ ही चुनाव होंगे| ऐसे में कुल मिलाकर 99 नगर निकायों में चुनाव होंगे। आपको बता दें कि उत्तराखंड में सौ नगर निकायों का पांच वर्ष का कार्यकाल पिछले साल दो दिसंबर को खत्म होने के बाद इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। इसके बाद सरकार ने एक बार फिर प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार हार के डर से निकाय चुनाव कराने से बच रही है। सवाल ये है कि आखिर क्यों बार बार सरकार निकाय चुनाव को टाल रही है…आखिर कोर्ट में हलफनामा देने के बाद भी सरकार अबतक निकाय चुनाव नहीं करा पाई है|
देवभूमि उत्तराखंड में जीत की हैट्रिक लगाने से उत्साहित भाजपा जल्द ही आगामी चुनाव कराने की तैयारी कर रही है। इसके तहत दो विधानसभा के उपचुनाव, निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव जल्द ही हो सकते हैं। इस बीच राज्य के चार नगर निकायों में सीमा विस्तार और परिसीमन पूरा होने के बाद अब राज्य निर्वाचन आयोग यहां की मतदाता सूची पुनरीक्षण कराएगा। बता दें कि प्रदेश में कुल 99 नगर निकायों में चुनाव होने हैं, जिसके लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं| इस बीच धामी सरकार ने प्रशासकों का कार्यकाल एक बार फिर तीन माह के लिए और बढ़ा दिया है। सरकार का तर्क है कि लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू होने की वजह से ये निर्णय लेना पड़ा है|
आपको बता दें कि प्रदेश के सौ नगर निकायों का पांच वर्ष का कार्यकाल पिछले साल दो दिसंबर को खत्म होने के बाद इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। इसके बाद भी धामी सरकार ने एक बार फिर प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार हार के डर से निकाय चुनाव कराने से बच रही है। विपक्ष का कहना है कि सरकार ने समय रहते विकास के कोई कार्य नहीं किए। सरकार सिर्फ बयानबाजी में व्यस्त रही। वहीं बीजेपी का तर्क है कि प्रदेश में लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू होने की वजह से यह देरी हुई है लेकिन सरकार पूरी तरह से चुनाव के लिए तैयार है|
कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद राज्य में अब आगामी चुनाव की तैयारी शुरु हो गई है। सवाल ये है कि आखिर क्यों बार बार सरकार निकाय चुनाव को टाल रही है…आखिर कोर्ट में हलफनामा देने के बाद भी सरकार अबतक निकाय चुनाव क्यों नहीं करा पाई है। सवाल ये भी है कि क्या सरकार मौजूदा समय सीमा में भी निकाय चुनाव कराने के लिए तैयार है या नहीं?