डिजिटल डेस्क- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों और राइस मिलर्स को राहत देते हुए एक महत्वपूर्ण आर्थिक निर्णय लिया है। सरकार ने नॉन-हाइब्रिड धान की कुटाई में 1% रिकवरी की छूट देने का ऐलान किया है। इस फैसले से न केवल प्रदेश के 13 से 15 लाख किसानों को सीधा लाभ मिलेगा, बल्कि 2000 से अधिक राइस मिलर्स को भी राहत मिलेगी। राज्य सरकार इस छूट की प्रतिपूर्ति अपने बजट से ₹167 करोड़ के रूप में करेगी।
धान कुटाई पर राहत पैकेज
पिछले कुछ समय से नॉन-हाइब्रिड धान में अपेक्षित रिकवरी न मिलने की शिकायतें लगातार सामने आ रही थीं। इस पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री योगी ने यह बड़ा निर्णय लिया। सीएम ने कहा कि, “अन्नदाता किसान और राइस मिलर्स की भावनाओं का सम्मान करते हुए सरकार ने यह छूट देने का फैसला किया है। राज्य सरकार किसानों के हितों की रक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।”
राइस मिल उद्योग को नई ऊर्जा
मुख्यमंत्री ने कहा कि राइस मिलर्स न केवल धान क्रय प्रक्रिया की रीढ़ हैं, बल्कि प्रदेश में रोजगार सृजन के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस निर्णय से राइस मिल उद्योग को नई ऊर्जा मिलेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति प्राप्त होगी। योगी सरकार के अनुसार, इस फैसले से प्रदेश में 2 लाख से अधिक रोजगार के अवसर सृजित होने की संभावना है। साथ ही, यह कदम राज्य के कृषि आधारित उद्योगों को मजबूती देने और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम
सरकार का मानना है कि इस निर्णय से राष्ट्रीय स्तर पर बचत को बढ़ावा मिलेगा। अब प्रदेश को पीडीएस के लिए बाहर से चावल मंगाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इससे राज्य की आर्थिक आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और लॉजिस्टिक खर्चों में कमी आएगी। गौरतलब है कि राज्य सरकार पहले से ही हाइब्रिड धान की कुटाई पर 3% रिकवरी छूट दे रही है, जिसकी प्रतिपूर्ति के रूप में हर साल लगभग ₹100 करोड़ खर्च किए जाते हैं। अब नॉन-हाइब्रिड धान को भी राहत दायरे में शामिल करने से कृषि क्षेत्र में संतुलन और प्रतिस्पर्धा दोनों को बढ़ावा मिलेगा।