बांके बिहारी मंदिर में कथित अभद्रता का वीडियो वायरल, सामने आया ASP अनुज चौधरी का बयान

डिजिटल डेस्क- वृंदावन स्थित विश्व प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर से जुड़ा एक और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें मंदिर के सेवायत गोस्वामी सोहित के साथ एएसपी अनुज चौधरी द्वारा कथित बदसलूकी के आरोप लगाए गए। यह मामला उस समय सामने आया जब बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की ‘सनातन एकता पदयात्रा’ दिल्ली से वृंदावन पहुंची और मंदिर में दर्शन के साथ इसका समापन हुआ। रविवार को हुए इस कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा की जिम्मेदारी एएसपी अनुज चौधरी के पास थी। आरोपों के मुताबिक, पदयात्रा के दौरान ठाकुर बांके बिहारी मंदिर की ओर बढ़ने पर पुलिस कर्मियों और स्थानीय भक्तों के बीच झड़प हुई। कई लोगों ने दावा किया कि पुलिस ने ब्रजवासियों के साथ बदसलूकी की, उनके कपड़े फाड़े और हाथापाई तक की। इन आरोपों को समर्थन देते हुए कथावाचक मृदुल कांत शास्त्री ने एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उन्होंने पुलिस पर अभद्रता और अव्यवस्था फैलाने का आरोप लगाया।

ASP पर गंभीर आरोप, दूसरे वीडियो पर बढ़ा विवाद

दूसरे वायरल वीडियो में दावा किया गया कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जब VIP गेट से मंदिर में प्रवेश कर रहे थे, तभी सेवायत गोस्वामी सोहित पूजा की थाल और माला लेकर उनके पीछे जा रहे थे। आरोप है कि एएसपी अनुज चौधरी ने उन्हें भीतर जाने से रोकते हुए कथित रूप से उनके साथ बदसलूकी की और उन्हें इस तरीके से खींचा जैसे वे कोई संदिग्ध या अपराधी हों। इस वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश देखने को मिला। मंदिर के गोस्वामी हिमांशु ने भी आरोप लगाया कि पुलिस ने सेवायत के साथ असम्मानजनक व्यवहार किया। उन्होंने इसे अत्यंत निंदनीय बताया और कहा कि गोस्वामी समाज में इस घटना को लेकर भारी असंतोष है।

सोमवार को आया खंडन, बदसलूकी से किया इनकार

हालांकि, सोमवार को इस मामले में बड़ा मोड़ आया। मंदिर सेवायत और उच्चाधिकार प्रबंधन समिति के सदस्य दिनेश गोस्वामी ने इन आरोपों का खंडन किया। उन्होंने बताया कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पदयात्रा में भीड़ अधिक थी और पहले से तय 5 लोगों की अनुमति के बावजूद कई बाहरी लोग, यूट्यूबर और अनधिकृत व्यक्ति घुसने की कोशिश कर रहे थे। इस दौरान एएसपी अनुज चौधरी और सुरक्षा कर्मियों ने केवल स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कार्रवाई की। दिनेश गोस्वामी ने स्पष्ट कहा कि किसी भी सेवायत के साथ अभद्रता नहीं हुई। उन्होंने स्वीकार किया कि एएसपी ने व्यवस्था बनाए रखने के दौरान कुछ लोगों को रोका, लेकिन उनकी मंशा किसी का अपमान करना नहीं थी।