डिजिटल डेस्क- उन्नाव में इस साल 11वां जुलूस-ए-गौसे-आज़म यानी जुलूस-ए-गौसिया नहीं निकलेगा। बरेली के हालात को ध्यान में रखते हुए शहर काजी मौलाना नईम अहमद मिस्बाही ने यह अहम फैसला लिया है। शुक्रवार देर रात सुन्नी तंजीम अइम्मा-ए-मसाजिद और रूयत-ए-हिलाल कमेटी की ओर से एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें शहर के प्रमुख उलेमा और जिम्मेदार लोग मौजूद रहे। बैठक का मुख्य एजेंडा आगामी 11वीं के मौके पर धार्मिक आयोजनों की तैयारी और शांति-व्यवस्था बनाए रखना था।
बिगड़े हालात को देखते हुए मुल्तवी किया जुलूस
बैठक में मौलाना नईम अहमद मिस्बाही ने कहा कि यह सब्र और आस्था का महीना है। इस दौरान निकलने वाले जुलूस और मजलिस में भाईचारा और अनुशासन बनाए रखना बेहद जरूरी है। मौजूदा हालात को देखते हुए सभी जिम्मेदार लोगों ने चिंता जताई और सहमति जताई कि 4 अक्टूबर को प्रस्तावित जुलूस-ए-गौसिया इस बार मुल्तवी कर दिया जाए। शहर काज़ी ने साफ शब्दों में कहा कि अमन और सौहार्द सर्वोपरि है। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले साल में यह जुलूस अपनी पारंपरिक शान-ओ-शौकत और पूरे जोश-खरोश के साथ निकलेगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे शांति बनाए रखें और किसी भी अफवाह या उकसावे से दूर रहें।
11वीं का जुलूस पूरी तरह नियमों के साथ निकलेगा
बैठक में यह भी तय किया गया कि आगामी 11वीं का पारंपरिक जुलूस मोहल्ले से निकलेगा और इसे पूरी तरह नियमों और परंपराओं के अनुरूप संपन्न कराया जाएगा। उलेमा ने इस मौके पर युवाओं से विशेष अपील की कि वे सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों से फैलने वाली किसी भी भ्रामक सूचना पर ध्यान न दें और केवल जिम्मेदार लोगों की बातों पर भरोसा करें।
बैठक में ये लोग रहे शामिल
बैठक में मौलाना इरफान खान बिराखी, मौलाना असलम मदनी, मौलाना शुऐब खान बिराखी, हाफिज बनवारी हसन, मौलाना मुशर्रफ हुसैन अज़ीमी समेत कई प्रमुख उलेमा मौजूद रहे। सभी ने मिलकर इस निर्णय को एकजुटता और सामूहिक जिम्मेदारी के तौर पर स्वीकार किया।