डिजिटल डेस्क- डिजिटल अरेस्ट में सजा के मामले में उत्तर प्रदेश ने एक नयी उपलब्धि हासिल की है। उत्तर प्रदेश में कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट करने वाले ठगों को 7 साल की सजा सुनाई है। ठगों ने महिला डॉक्टर को कस्टम अधिकारी बनकर 85 लाख की चपेट लगाई थी। यह फैसला सिर्फ 438 दिनों में आया है, जो यूपी में डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी के मामले में सबसे तेज सजा है।
1 मई 2024 को आया था कॉल
राजधानी लखनऊ की डॉक्टर सौम्या गुप्ता को ड्यूटी के दौरान 1 मई 2024 को एक कॉल आया। कॉलर ने खुद को कस्टम अधिकारी बताया और कहा कि उनके नाम पर एक कार्गो में जाली पासपोर्ट और एमडीएमए मिला है। इसके बाद कॉल एक ऐसे व्यक्ति को ट्रांसफर की गई जिसने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया। आरोपी ने डॉ. गुप्ता को वीडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट में होने का डर दिखाकर लगातार 10 दिनों तक डराया और उनसे अलग-अलग खातों में 85 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए।
पुलिस ने की थी त्वरित कार्रवाई
ठगी के बाद महिला डॉक्टर की शिकायत पर पुलिस आयुक्त लखनऊ और अपराध शाखा के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में प्रभारी निरीक्षक साइबर क्राइम बृजेश कुमार यादव के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। टीम ने तकनीकी साक्ष्य, सर्विलांस और खुफिया सूचना तंत्र की मदद से मात्र 5 दिनों में आरोपी को लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार स्थित मंदाकिनी अपार्टमेंट से गिरफ्तार कर लिया।
सिम कार्ड हासिल कर दिया था अपराध को अंजाम
जांच में सामने आया कि उसने फर्जी पहचान और दस्तावेजों के आधार पर बैंक खाते और सिम कार्ड हासिल कर यह अपराध अंजाम दिया था। पुलिस ने तकनीकी साक्ष्य, सर्विलांस और खुफिया तंत्र के माध्यम से उसे ट्रैक किया। इसके बाद 2 अगस्त 2024 को चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की गई। ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष ने सभी गवाहों के बयान दर्ज कराए और जब्त सामग्री का परीक्षण कराया। आरोपी की जमानत याचिका का विरोध कर उसे हिरासत में रखा गया।