KNEWS DESK, उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गरमाई हुई है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने शनिवार को पार्टी कार्यालय में एक प्रेस वार्ता आयोजित की, जिसमें उन्होंने नोटबंदी के मुद्दे को लेकर एक बार फिर भाजपा सरकार पर हमला बोला। साथ ही अखिलेश यादव ने अपने कार्यालय में पार्टी के खजांची का 8वां जन्मदिन भी मनाया और उसे एक स्मार्ट वॉच गिफ्ट की।
इस मौके पर अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्र सरकार की नीतियों पर जमकर तंज कसे। नोटबंदी को लेकर उन्होंने कहा, “नोटबंदी केवल दिखावा बनकर रह गई। इसका असली असर किसान, मजदूर और छोटे दुकानदारों पर पड़ा है। यह एक स्लो पॉइजन की तरह था, जिसने इन सभी को बर्बाद कर दिया।”
नोटबंदी को लेकर जमकर बोला हमला
अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा कि नोटबंदी के बाद सरकार के दावे न सिर्फ झूठे साबित हुए, बल्कि इससे आम आदमी की जिंदगी भी प्रभावित हुई। उन्होंने कहा, “नोटबंदी के किसी भी दावे को सरकार आज तक पूरा नहीं कर पाई। इस फैसले का कोई सकारात्मक असर नहीं हुआ, बल्कि यह एक बड़ा घोटाला साबित हुआ।” अखिलेश यादव ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा, “अब तो भाजपा केवल बोरी में चोरी नहीं करती, बल्कि पूरी बोरी ही गायब हो चुकी है।” उनके मुताबिक नोटबंदी के दौरान सरकार ने जो दावा किया था, वह पूरी तरह से फेल हो गया। उन्होंने इसे “आर्थिक इतिहास का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार” करार दिया।
खाद संकट पर भी सरकार को घेरा
अखिलेश यादव ने कहा कि,”अब किसान रातों को लाइन में लग रहे हैं, लेकिन खाद नहीं मिल पा रही है। कई किसानों को मजबूरी में ऊंचे दामों पर प्राइवेट खाद खरीदनी पड़ रही है। यह स्थिति यह दिखाती है कि भाजपा की नीतियों ने किसान को फिर से संकट में डाल दिया है,” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि खाद की इस कमी के पीछे भ्रष्टाचार है और भाजपा के नेताओं के गोदामों में खाद का संग्रह किया जा रहा है। वहीं अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर भी एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें किसानों को खाद के लिए लंबी कतारों में खड़ा दिखाया गया था। वीडियो के साथ उन्होंने लिखा, “यह 8 साल पहले की नोटबंदी की लाइन नहीं है, बल्कि कल की तस्वीरें हैं। यह वह किसान हैं, जो अपने परिवार के लिए खाद पाने के लिए इंतजार कर रहे हैं।”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तंज
अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी निशाना साधते हुए कहा कि योगी आदित्यनाथ के बयानों में अब बदलाव देखा जा रहा है। “पहले वे खुद को किसानों का मसीहा बताते थे, लेकिन अब उनकी भाषा पूरी तरह बदल चुकी है।”