शीतकालीन सत्र से पहले समाजवादी पार्टी ने दी कड़ी चेतावनी, “SIR पर चर्चा नहीं हुई तो नहीं चलने देंगे संसद”

शिव शंकर सविता- संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है, लेकिन उससे पहले ही राजनीति गरमाती दिख रही है। समाजवादी पार्टी (सपा) ने साफ चेतावनी दी है कि यदि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision—SIR) पर चर्चा नहीं कराई गई, तो वह संसद को सुचारू रूप से नहीं चलने देगी। रविवार को सर्वदलीय बैठक के बाद सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि सरकार चुनाव आयोग का हवाला देकर इस गंभीर मुद्दे से नहीं बच सकती। रामगोपाल यादव ने कहा कि SIR के नाम पर देशभर में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आ रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कई स्थानों पर मतदाताओं के नाम बिना किसी आधार के काटे जा रहे हैं। यादव ने कहा, “पहले हम केवल सुनते थे, पर अब हम खुद देख रहे हैं कि कितने लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। बिहार में भी कई गड़बड़ियां सामने आई हैं।” उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि चुनाव आयोग कोई सर्वोच्च सत्ता नहीं है, बल्कि यह सरकार द्वारा स्थापित संस्था है। इसलिए सरकार यह कहकर चर्चा से नहीं बच सकती कि मामला आयोग का है।

इटावा जिले को डाला गया ग्रुप सी में- समाजवादी पार्टी

सपा नेता ने कहा कि इटावा जिले में जहां वे खुद मतदाता हैं, वहां पूरे जिले को ‘श्रेणी C’ में डाल दिया गया है, जो गहरी शंकाएं पैदा करता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि उनके जिले के सात सांसद और तीन विधायक भी इसी श्रेणी में रखे गए हैं। यादव के अनुसार यह सब चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम ही मतदाता सूची से काट दिया जाए, तो क्या इस मुद्दे पर चर्चा नहीं होगी?

19 दिसंबर तक चलेगा शीतकालीन सत्र

भारत में संसद का हर सत्र शुरू होने से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने की परंपरा है, ताकि सत्र सुचारू रूप से चल सके। इस बार भी बैठक में कई दलों ने अपनी-अपनी चिंताएं रखीं, लेकिन सपा ने SIR को लेकर सबसे तीखी आपत्ति दर्ज कराई है। सत्र 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा और इसमें कुल 15 बैठकें होंगी। विपक्ष इसे “संक्षिप्त सत्र” बता रहा है, क्योंकि आमतौर पर संसद के सत्र में करीब 20 बैठकें होती हैं।

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