शिव शंकर सविता- उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन उल्लंघन से जुड़े मामलों में सांसदों और विधायकों को बड़ी राहत देने का फैसला किया है। जानकारी के मुताबिक, प्रदेश में कोविड प्रोटोकॉल तोड़ने के आरोप में दर्ज हुए सभी ऐसे मामले, जिनमें अधिकतम दो साल या उससे कम की सजा का प्रावधान है, अब वापस लिए जाएंगे। सरकारी सूत्रों के अनुसार, कोविड काल में लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन के आरोप में लगभग 80 से 90 जनप्रतिनिधियों पर केस दर्ज हुए थे। इनमें संक्रमण फैलाने का खतरा पैदा करना, क्वारंटाइन तोड़ना, अस्पताल से भागना, सरकारी आदेशों की अवहेलना, भीड़ जमा करके विरोध प्रदर्शन करना और मानव जीवन को खतरे में डालने जैसे आरोप शामिल थे।
कोरोना महामारी के दौरान साढ़े तीन लाख से अधिक दर्ज हुए थे मुकदमे
कोरोना महामारी के दौरान वर्ष 2020-21 में यूपी में साढ़े तीन लाख से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए थे। इनमें बड़ी संख्या आम नागरिकों की थी, लेकिन कई राजनीतिक दलों के प्रमुख नेता और जनप्रतिनिधि भी कानूनी कार्रवाई की जद में आए थे। सरकार पहले ही आम लोगों के सभी 3.5 लाख मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर चुकी है। अब इसी क्रम में जनप्रतिनिधियों को भी राहत देने की तैयारी है।
दो साल से अधिक गंभीर धाराओं वाले मुकदमे नहीं होंगे खत्म
उच्चस्तरीय सूत्रों का कहना है कि जिन सांसदों और विधायकों पर सिर्फ कोविड नियम उल्लंघन की धाराएँ लगी थीं और किसी मामले में दो साल से अधिक सजा वाली कोई गंभीर IPC धारा शामिल नहीं की गई थी, उन सभी मामलों को सरकार समाप्त करेगी। इसके लिए सरकार हाईकोर्ट से अनुमति लेने की प्रक्रिया शुरू कर रही है। अनुमति मिलते ही जिला प्रशासन और अभियोजन विभाग को केस वापस लेने के आदेश जारी किए जाएंगे। लंबे समय से नेताओं के लिए ये मुकदमे राजनीतिक और कानूनी सिरदर्द बने हुए थे, जिनकी वजह से कई मामलों में अदालतों में सुनवाई भी लगातार चल रही थी।