चंदौली में नौनिहालों के भविष्य के साथ शिक्षा विभाग का खिलवाड़

चंदौली,  एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार परिषदीय विद्यालयों की दशा और दिशा में सुधार लाने के लिए करोड़ो रूपये खर्च कर रही है। जिससे विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को बेहतर शिक्षा दीक्षा और उज्ज्वल भविष्य दिया जा सके,लेकिन सरकार की ये मंशा कुछ भ्रष्ट सरकारी नुमाइंदों के कारण धरातल पर फलीभूत होती नहीं दिखाई दे रही है। जिन शिक्षकों के हाथों में नौनिहालों का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है वही शिक्षक लापरवाह बने हुए हैं।

समय से विद्यालय न जाना अध्यापकों की दिनचर्या बन चुकी है। मजे की बात ये भी है कि इन अध्यापकों के समय से विद्यालय न आने के बारे में अधिकारियों से शिकायत भी की जाती है,लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी कोई कार्यवाई नहीं करते हैं। दरअसल पूरा मामला चकिया बीआरसी क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय हिनौती उत्तरी का है। जहां  एक बजे प्राथमिक विद्यालय हिनौती पहुंची तब विद्यालय में एक सहायक अध्यापक व एक शिक्षा मित्र मौजूद मिले वहीं प्रधानाध्यापक राजेश तिवारी स्कूल से गायब मिले। स्कूल के बच्चों से पूछने पर बच्चों ने बताया कि हेड मास्टर साहब रोज सुबह 10 बजे स्कूल आते हैं और आधे घंटे बाद घर चले जाते हैं।

हेड मास्टर साहब कई वर्षों से ऐसा करते आ रहे हैं। बच्चे पढ़े या न पढ़े गुरुजी से क्या मतलब है। गुरुजी की सैलरी तो टाइम से मिल ही रही है। हेड मास्टर साहब सैलरी तो सरकार से लेते हैं,लेकिन ड्यूटी अपने घर पर देते हैं। चकिया बीआरसी क्षेत्र में लापरवाह अध्यापको के चलते परिषदीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है।

किस तरह लापरवाह अध्यापक बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ये साफ देखा जा सकता है। परिषदीय विद्यालयों के अध्यापकों में ड्यूटी के प्रति बढ़ती लापरवाही के जिम्मेदार काफी हद तक शिक्षा विभाग के अधिकारी हैं। जो कि शिकायत के बाद भी कार्यवाई नहीं करते हैं। शायद यही वजह है कि परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या निरंतर घट रही है और कॉन्वेंट स्कूलों में बच्चों की संख्या दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है।

वहीं स्कूल में बच्चों को मेन्यु के हिसाब से न तो भोजन मिलता है और ना फल और दूध दिया जा रहा है। जबकि परिषदीय विद्यालयों में मिड डे मील के लिए सरकार करोड़ो रूपये खर्च कर रही है। ताकि बच्चों को पौष्टिक भोजन व फल और दूध का वितरण किया जा सके। लेकिन सरकारी धन का किस तरह से बंदरबांट किया जा रहा है ये साफ तौर पर देखा जा सकता है।  खण्ड शिक्षा अधिकारी का तुगलकी फरमान, पत्रकार हो जाये सावधान जब मामले के बारे में खण्ड शिक्षा अधिकारी राम टहल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामले में संबंधित हेड मास्टर को नोटिस जारी किया जा रहा है। स्पष्टीकरण आने के बाद कार्यवाही की जाएगी।

रही बात स्कूल में मेन्यु के हिसाब से भोजन नहीं बन रहा है और बच्चों को फल और दूध नहीं दिया जा रहा है तो इसके बारे में ग्राम प्रधान से बात की जाएगी। वहीं खण्ड शिक्षा अधिकारी ने देश के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों पर अपना तुगलकी फरमान जारी किया है कि कोई भी पत्रकार बिना इजाजत विद्यालय में नहीं जाएगा और ना ही विद्यालय का वीडियो बनाएगा अगर पत्रकार को स्कूल की वीडियो बनानी है तो स्कूल के इंचार्ज से इजाजत लेने के बाद ही वीडियो बनाएगा। जब खण्ड शिक्षा अधिकारी राम टहल से पूछा गया कि किसके आदेश पर पत्रकारों को वीडियो बनाने से मना किया गया है। तो जनाब जवाब नहीं दे पाए। कुल मिलाकर खण्ड शिक्षा अधिकारी लापरवाह अध्यापकों के साथ पूरी शिद्दत से खड़े दिखाई दे रहे हैं।

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