विवादों से घिरने के बाद आया ममता कुलकर्णी का बयान, बोलीं- दाऊद से मेरा कोई लेना-देना नहीं, मीडिया ने बिना वजह उछाला मुद्दा

डिजिटल डेस्क- गोरखपुर में किन्नर अखाड़े के कार्यक्रम में पहुंचीं अभिनेत्री से साध्वी बनीं ममता कुलकर्णी का बयान इन दिनों सुर्खियों में है। ममता ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि उनका अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि “मेरे जीवन में मैं दाऊद से कभी नहीं मिली। किसी एक व्यक्ति (विक्की गोस्वामी) का नाम ज़रूर जुड़ा था, लेकिन उसने कभी देश के अंदर कोई बम धमाका या देशविरोधी गतिविधि नहीं की।” ममता के इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसके बाद उन्होंने इंस्टाग्राम पर सफाई देते हुए मीडिया पर बात को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया।

इंस्टाग्राम में वीडियो पोस्ट कर दी सफाई

ममता कुलकर्णी ने इंस्टाग्राम वीडियो में कहा, “मैं कल गोरखपुर में छठी मैया के भंडारे में शामिल होने पहुंची थी। उससे पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुझसे पूछा गया कि क्या मेरा नाम दाऊद इब्राहिम से जुड़ा है। मैंने साफ कहा कि न तो मैंने उसे देखा, न उससे मिली, न ही मेरा उससे कोई रिश्ता है। मैंने सिर्फ इतना कहा कि जिस व्यक्ति का नाम मेरे साथ जोड़ा गया, उसका नाम विक्की गोस्वामी है, लेकिन वह कोई आतंकवादी नहीं है।” उन्होंने आगे कहा कि मीडिया ने मेरे बयान को बिना वजह तूल दिया। उन्होंने संत समाज से अपील की कि “पूरा वीडियो शांतिपूर्वक देखें और विवेक का इस्तेमाल करें।”

बीते दिनों किए थे गोरखनाथ धाम के दर्शन

बुधवार को ममता गोरखनाथ मंदिर भी पहुंचीं, जहां उन्होंने नाथ संप्रदाय के प्रति अपनी गहरी आस्था जताई। उन्होंने कहा कि “फिल्मों में मुझे प्रसिद्धि बहुत मिली, लेकिन आत्मसंतोष गुरु के चरणों में आकर ही मिला।” ममता ने बताया कि वह ब्राह्मण परिवार से हैं और उनकी दादी ने ही उन्हें ‘यमाई’ नाम दिया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने 2016 से 2025 तक निरंतर साधना और ब्रह्मचर्य का पालन किया है, जिससे उन्हें सिद्धि प्राप्त हुई।

90 के दशक की हैं मशहूर अभिनेत्री

गौरतलब है कि ममता कुलकर्णी 90 के दशक की मशहूर अभिनेत्री रही हैं। उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया था और साल 2002 में आखिरी बार ‘कभी तुम कभी हम’ में नजर आई थीं। इसके बाद वह विदेश चली गईं और करीब 25 साल बाद 2024 में भारत लौटीं। महाकुंभ 2025 में उन्हें किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया था, लेकिन विवादों के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया।