लखनऊ: प्रीपेड स्मार्ट मीटर विवाद में पावर कॉरपोरेशन बैकफुट पर, आयोग को भेजा जवाब

डिजिटल डेस्क- उत्तर प्रदेश में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने को लेकर जारी विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। इस मुद्दे पर उठे सवालों के बीच अब पावर कॉरपोरेशन बैकफुट पर आता दिखाई दे रहा है। विद्युत उपभोक्ता परिषद द्वारा दायर याचिका पर राज्य विद्युत नियामक आयोग में हुई सुनवाई के दौरान कॉरपोरेशन ने आयोग को अपना लिखित जवाब सौंपा है। इसमें कॉरपोरेशन ने माना है कि फिलहाल उपभोक्ताओं से ली जा रही 6016 रुपये की राशि एक अंतरिम व्यवस्था के तहत वसूली जा रही है और आगे से यह प्रक्रिया आयोग द्वारा तय मानकों के अनुसार ही लागू की जाएगी। दरअसल, हाल ही में प्रीपेड स्मार्ट मीटर की ऊंची कीमतों और बिना अनुमति लगाए जाने को लेकर उपभोक्ताओं में नाराजगी बढ़ी थी। विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसे लेकर नियामक आयोग में याचिका दाखिल की थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि कॉरपोरेशन ने बिना नियामक स्वीकृति के मीटर की कीमत तय कर ली और उपभोक्ताओं को मजबूर किया जा रहा है कि वे मीटर के लिए 6016 रुपये अदा करें। परिषद का कहना था कि यह नियमों का उल्लंघन है और उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन भी।

सुनवाई के दौरान यूपीपीसीएल से मांगा स्पष्टीकरण

याचिका पर सुनवाई के दौरान आयोग ने पावर कॉरपोरेशन से स्पष्टीकरण मांगा था। आयोग ने यहां तक कहा कि यदि आदेशों की अवहेलना पाई गई तो कॉरपोरेशन पर अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है। इस पर कॉरपोरेशन ने आयोग को भेजे अपने जवाब में कहा कि फिलहाल यह केवल अंतरिम शुल्क है, ताकि परियोजना का संचालन जारी रह सके। अंतिम मूल्य निर्धारण और शुल्क वसूली की प्रक्रिया आयोग की मंजूरी से ही लागू की जाएगी।

परिषद ने उठाया सवाल

सुनवाई के दौरान उपभोक्ताओं को प्रीपेड या पोस्टपेड विकल्प न देने का मुद्दा भी उठा। परिषद ने सवाल उठाया कि उपभोक्ताओं को केवल प्रीपेड सिस्टम अपनाने के लिए क्यों बाध्य किया जा रहा है, जबकि नियमों के तहत उन्हें विकल्प दिया जाना चाहिए। आयोग ने इस पर गंभीरता से नोट लिया और कॉरपोरेशन से स्पष्ट नीति पेश करने को कहा।