रिपोर्ट- मो0 रज़ी सिद्दीकी
बाराबंकी- देश की एकमात्र कवयित्री कविता तिवारी जिन्हें अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण मिला था। बाराबंकी की निवासी कविता तिवारी ने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के बाद घर पहुंचकर अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने बताया कि वह देश की एकमात्र कवयित्री हैं, जिन्हें प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता मिला था। जिसे इस अलौकिक दृश्य को साक्षात् देखने का अनुभव मिला। रामलला के दर्शन मिले। यह अनुभव कई जन्मों के पुण्य फलित होने जैसा है। इसके लिए वह जीवन भर आभारी रहेंगी। उन्होंने मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़ी एक- एक बात को अपनी कविताओं के माध्यम से बताया।
प्राण प्रतिष्ठा उत्सव में शामिल होकर उनका जीवन को धन्य हो गया
दरअसल बाराबंकी में आवास विकास कॉलोनी की निवासी कविता तिवारी देश की एकमात्र ऐसी कवयित्री है जिन्हें प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण मिला था। वह अपने पति वैभव मिश्रा के साथ प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पहुंची थीं, उन्होंने बताया कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा उत्सव में शामिल होकर उनका जीवन को धन्य हो गया है अयोध्या में पहुंचकर उन्हें कई जन्मों के पुण्य फलित होने जैसा अनुभव हो रहा था। उन्होंने कहा कि उनके पिता रतन तिवारी का सपना आज पूरा हो गया है। उन्होंने अपनी कविता के माध्यम से अपने भाव भी प्रकट किये। उन्होंने पढ़ा ‘अवधेश को भजा तुरंत काम बना है, भगवान के भजन का भाव नाम बना है सब लोग मस्त हो रहें हैं अवध में, हनुमान जी मगन हैं राम धाम बना है’।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में सभी एक समान भक्त बनकर पहुंचे
कविता तिवारी ने आगे बताया कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सभी के लिए सामान्य कुर्सियां लगी थीं। कुर्सी पर ही चाय-नाश्ता और प्रसाद मिला। उन्होंने कहा कि वहां पर कोई भी वीआईपी या खास नहीं था। सभी रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा में एक समान भक्त बनकर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि रामलला के दर्शन के समय बगल में अमिताभ बच्चन और मुकेश अंबानी व नीता अंबानी भी थे उनके अंदर इस बात का जरा भी गुरुर नहीं था कि वह देश की इतनी बड़ी शख्सियत हैं। रामलाल के दर्शन के समय सभी एक ही कतार में पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि समारोह के दौरान उन्हें एक विशेष ‘प्रसादम’ भी मिला। यह प्रसाद एक थैले में था, जिसमें तुलसी की माला, अयोध्या पर एक किताब, लड्डू, धातु का दीया और भगवान राम के नाम वाला दुपट्टा शामिल था।
कविता के शौक को बनाया अपना करियर
आपको बता दें कि कविता तिवारी लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था। कविता तिवारी के जीवन की शुरुआती शिक्षा रानी लक्ष्मी बाई मेमोरियल स्कूल, लखनऊ में हुई थी। उसके बाद B.Ed. और MA (हिंदी) और नेट की उच्च डिग्री हासिल की। 13 अगस्त 2005 को उन्होंने पहली बार कवि सम्मेलन में भाग लिया था। इसके साथ ही वह कई टीवी शो में काम कर चुकी हैं। साथ ही रेडियो चैनलों के माध्यम से भी वह काव्य पाठ करती हैं। कविता तिवारी को बचपन से ही कविताओं लिखने का काफी का शौक था। वह अपने स्कूल में आयोजित विभिन्न कविता प्रतियोगिताओं में वो सक्रिय रूप से भाग लिया करती थीं, आगे जाकर उन्होंने अपने इस शौक को अपना करियर बना लिया। उनकी कविताओं के लिए उन्हें सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान, स्वामी विवेकानंद सम्मान, काव्य गौरव सम्मान, युवा रत्न सम्मान, कीर्तिमान सम्मान, साहित्य भारती सम्मान, रानी लक्ष्मी बाई सम्मान जैसे कई अन्य पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है।
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