डिजिटल डेस्क- जिले के जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने शुक्रवार को एक ऐसा कदम उठाया, जिसने आम नागरिकों के बीच विश्वास और जागरूकता का संदेश दिया। डीएम स्वयं हीर पैलेस के निकट स्थित यूआईडीएआई आधार सेवा केंद्र पहुंचे और आम नागरिक की तरह अपने आधार कार्ड का बायोमेट्रिक डेटा अपडेट कराया। जैसे ही जिलाधिकारी केंद्र पर पहुंचे, वहां मौजूद लोगों को लगा कि वे शायद औचक निरीक्षण करने आए हैं। लेकिन कुछ ही देर में यह नज़ारा पूरी तरह बदल गया। डीएम ने खुद कतार में बैठकर औपचारिकताएं पूरी कीं और अपना आधार कार्ड अपडेट कराया। उन्होंने दस्तावेज़ जमा किए, फिर फिंगरप्रिंट स्कैन, आईरिस स्कैन और अपनी नई तस्वीर खिंचवाकर बायोमेट्रिक डिटेल्स अपडेट कराईं।
10 वर्ष बाद आधार अपडेट ज़रूरी
जिलाधिकारी ने बताया कि उनका आधार दस वर्ष से अधिक समय पहले बना था। ऐसे में यूआईडीएआई की सिफारिश के अनुसार उन्होंने इसे अपडेट कराने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि यह नियम अनिवार्य नहीं है, लेकिन ऐसा करने से व्यक्तिगत जानकारी अद्यतन बनी रहती है और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में कोई दिक़्क़त नहीं आती। डीएम ने विशेष रूप से बताया कि बच्चों का बायोमेट्रिक अपडेट करना बेहद ज़रूरी है।

बायोमैट्रिक अपडेट कराना है अनिवार्य
उन्होंने आगे बताया कि जब पांच वर्ष की उम्र में बच्चे का आधार बनता है, तब उनके फिंगरप्रिंट पूरी तरह विकसित नहीं होते। इसलिए पांच से सात वर्ष की आयु में उनका बायोमेट्रिक डेटा निशुल्क अपडेट किया जाता है। यदि सात साल की आयु के बाद यह अपडेट कराया जाए तो 100 रुपये शुल्क देना पड़ता है। इसी प्रकार 15 से 17 वर्ष की आयु में भी बायोमेट्रिक अपडेट अनिवार्य है और यह प्रक्रिया निशुल्क होती है। पांच वर्ष और पंद्रह वर्ष पर यह प्रक्रिया इसलिए ज़रूरी है ताकि बच्चे का आधार जीवन भर सटीक और विश्वसनीय बना रहे।
लोगों को मिली प्रेरणा
केंद्र पर मौजूद लोग जिलाधिकारी का यह रूप देखकर आश्चर्यचकित रह गए। आम तौर पर अधिकारी ऐसे काम अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से कराते हैं, लेकिन डीएम ने खुद प्रक्रिया पूरी करके नागरिकों को जागरूक करने का प्रयास किया। डीएम ने कहा, “हर नागरिक को आधार से जुड़ी जानकारियों को समय-समय पर अपडेट करना चाहिए। इससे पहचान पत्र की सटीकता बनी रहती है और सरकारी सुविधाएं लेने में किसी तरह की बाधा नहीं आती।