कानपुर में लॉ छात्र पर जानलेवा हमला: लापरवाही में फंसे छह पुलिसकर्मी, चौकी प्रभारी निलंबित

डिजिटल डेस्क- उत्तर प्रदेश के कानपुर में पुलिस विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। शहर में लॉ के छात्र अभिजीत सिंह पर चापड़ से हुए जानलेवा हमले के मामले में पुलिस की लापरवाही उजागर हुई है। एडीसीपी वेस्ट कपिलदेव सिंह ने जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट पुलिस कमिश्नर को सौंपी है। रिपोर्ट में गुरुदेव चौकी प्रभारी सचिन भाटी समेत छह पुलिसकर्मियों को लापरवाही का दोषी पाया गया है। मंगलवार रात चौकी प्रभारी को निलंबित कर दिया गया, जबकि अन्य अधिकारियों को सख्त चेतावनी दी गई है।

जांच में पुलिस ने लगा दिए 16 घंटे

जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि घायल छात्र के खिलाफ आरोपी पक्ष की तहरीर पर पुलिस ने मात्र डेढ़ घंटे में मुकदमा दर्ज कर लिया, लेकिन असली घटना स्थल की जांच के लिए करीब 16 घंटे लगा दिए। इतना ही नहीं, पश्चिमी जोन के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस पूरे प्रकरण को पुलिस कमिश्नर के सामने मामूली झगड़ा बताकर पेश किया।

दवा में डिस्काउंट के लिए हुआ था विवाद

रावतपुर थाना क्षेत्र के केशवपुरम निवासी अभिजीत सिंह सीएसजेएमयू से लॉ की पढ़ाई कर रहे हैं। रविवार रात वह मां के लिए विनायकपुर स्थित मेडिकल स्टोर से दवा लेने गए थे। दवा पर छूट को लेकर मेडिकल स्टोर संचालक अमर से उनका विवाद हो गया। आरोप है कि अमर ने अपने भाई विजय, निखिल तिवारी और प्रिंसराज श्रीवास्तव के साथ मिलकर अभिजीत पर चापड़ से हमला किया। इस हमले में अभिजीत का अंगूठा और उंगली कट गई, पेट फटने से आंतें बाहर आ गईं और सिर पर 14 टांके लगे। वर्तमान में उनका इलाज रिजेंसी अस्पताल में चल रहा है और कई सर्जरी अभी बाकी हैं।

पुलिस ने आरोपियों को साक्ष्य मिटाने का दिया पूरा मौका

जांच में यह भी सामने आया कि पुलिस ने आरोपियों को साक्ष्य मिटाने का पूरा मौका दिया। मेडिकल स्टोर संचालक अमर ने सीसीटीवी का डीवीआर गायब कर दिया। सीसीटीवी फुटेज में 9:42 पर अभिजीत स्टोर पर घायल हालत में दिखते हैं और कुछ मिनट बाद उन्हें सिंचाई विभाग कॉलोनी की ओर भागते देखा गया। वहीं, 10:28 पर एक स्थानीय युवक राहुल ने डायल 112 पर कॉल की, लेकिन पुलिस की प्रतिक्रिया में देरी हुई।