कानपुर प्रदूषण रैंकिंग में पांचवें स्थान पर, नगर निगम के प्रयास ला रहे रंग

डिजिटल डेस्क- कभी देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल कानपुर अब पर्यावरण सुधार की दिशा में लगातार प्रगति कर रहा है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ताज़ा रिपोर्ट में कानपुर ने देश में पाँचवां स्थान हासिल किया है। इस रैंकिंग में कानपुर ने दिल्ली, मुंबई, जयपुर और लखनऊ जैसे बड़े शहरों को पीछे छोड़ दिया। इंदौर पहले, जबलपुर दूसरे, आगरा तीसरे और सूरत चौथे नंबर पर हैं। नगर निगम की कोशिशों का प्रत्यक्ष असर शहर की स्वच्छता और वायु गुणवत्ता में दिखाई दे रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, नगर निगम ने पौधरोपण, धूल नियंत्रण, सड़क सफाई और वेस्ट मैनेजमेंट पर विशेष जोर दिया है। पिछले वर्षों में 10.85 लाख वर्गमीटर में पौधारोपण, 3.26 लाख वर्गमीटर सड़क पर पेविंग और 18 हज़ार वर्गमीटर में पैचवर्क किया गया। इसके अलावा, 772 किलोमीटर सड़क पर फुटपाथ और साइड पटरी बनाई गई, जिससे धूल कम करने में मदद मिली।

आने वाले समय में और सुधार होने की उम्मीद

नगर निगम के प्लांट्स के जरिए रोजाना 120 टन कचरे से बिजली उत्पादन और 100 मृत पशुओं का निस्तारण भी किया जा रहा है। कानपुर के नागरिकों का कहना है कि अब शहर में साफ-सुथरी सड़कों और बेहतर हवा का अनुभव हो रहा है, और नगर निगम के प्रयासों से आने वाले समय में और सुधार की उम्मीद है।

नगर आयुक्त सुधीर कुमार ने बताया कि 2019-20 में कानपुर स्वच्छता के अंतिम पायदान पर था, चाहे वह AQI, PM10 या PM2.5 हो। इसके बाद नगर निगम ने 4–5 साल लगातार मेहनत की और IIT कानपुर से सर्वे कराकर प्रदूषण के मुख्य कारणों का पता लगाया।

सर्वे में सबसे बड़ा कारण धूल निकला

सर्वे में सबसे बड़ा कारण सड़क धूल (डस्ट) पाया गया। इसके समाधान के लिए सड़क किनारों की सफाई, ग्रीन बेल्ट्स में अतिक्रमण हटवाना, डिवाइडर पर प्लांटेशन और पानी के स्प्रिंकलर का इस्तेमाल किया गया। सुधीर कुमार ने कहा कि मियावाकी पद्धति से बीते चार साल में दस लाख से अधिक पेड़ लगाए गए, जिससे धूल नियंत्रण में काफी मदद मिली है। नगर निगम की यह कार्यप्रणाली कानपुर को प्रदूषण मुक्त शहर बनाने की दिशा में एक बड़ी सफलता है।