कानपुरः DM बनाम CMO विवाद का हुआ अंत, CMO कानपुर डॉ हरिदत्त नेमी किए गए सस्पेंड, डॉ उदय नाथ को सौंपी गई कानपुर की कमान

शिव शंकर सविता- कानपुर में पिछले दिनों दो बड़े अधिकारियों डीएम जितेन्द्र कुमार और सीएमओ डॉ हरिदत्त नेमी के विवाद ने काफी सुर्खियां बटोरी थी। कानपुर की सभी जगह इस जंग की चर्चा हो रही थी। कानपुर के दो उच्चाधिकारियों के मध्य चल रही जंग का गुरूवार को लखनऊ से आये आदेश पत्र के माध्यम से अंत हो गया। जहां पूर्व सीएमओ डॉ हरिदत्त नेमी के समर्थन में कानपुर के भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेज सीएमओ का बचाव किया था, वहीं कानपुर की जनता ने खुलकर डीएम जितेन्द्र प्रताप के लिए समर्थन जुटाया था। लखनऊ से भेजे गये आदेश पत्र में श्रावस्ती के अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ उदय नाथ को कानपुर का नया सीएमओ बनाते हुए पूर्व सीएमओ डॉ हरिदत्त नेमी को निलंबित कर दिया गया।

भाजपा विधायक बंट गए थे अलग-अलग खेमे में

कानपुर के दोनों उच्चाधिकारियों की जंग के बाद कानपुर के विधायक अलग-अलग गुट में बंटे नजर आये थे। सबसे पहले विधासनभा अध्यक्ष सतीश महाना का पत्र सोशल मीडिया में वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने सीएमओ के पक्ष में बात करते हुए उनपर कार्रवाई न करने का जिक्र किया था। इसके बाद गोविन्द नगर विधायक सुरेन्द्र मैथानी का पत्र भी सोशल मीडिया में वायरल हुआ जिसमे वो भी सीएमओ के पक्ष में खड़े हुए दिखाई दिए। बिठूर विधानसभा के विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप के समर्थन में पत्र लिखा था।

कानपुर की जनता आई जिलाधिकारी के समर्थन में

इन दोनों अधिकारियों की जंग में जहां जनप्रतिनिधि सीएमओ का बचाव करते दिखे, वहीं जनप्रतिनिधियों के इस बचाव का विरोध करते हुए कानपुर की जनता ने जिलाधिकारी कानपुर का समर्थन किया। कानपुर के लोगों ने मुख्यमंत्री को बड़ी संख्या में पत्र भेजकर जिलाधिकारी को न हटाने की मांग की थी। साथ ही जिलाधिकारी के समर्थन में रैलियां भी की थी। कानपुर के लोगों की मांग पर ही जिलाधिकारी कार्रवाई से बच गए और कार्रवाई सीएमओ डॉ हरिदत्त नेमी पर हुई।

पूर्व सीएमओ को किया गया निलंबित

शासन से दो कानपुर प्रशासन को भेजे गए। पहले पत्र में अपर मुख्य चिकित्साधिकारी श्रावस्ती को कानपुर नगर का सीएमओ बनाया गया, वहीं दूसरे पत्र में पूर्व सीएमओ डॉ हरिदत्त नेमी को निलंबित करने का आदेश मिला। पत्र में निलंबन का कारण राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत पूर्व में हुई भर्ती में पारदर्शिता न बरतने का आरोप लगाया गया और साथ ही वित्त मामलों में भी लापरवाही का आरोप लगाते हुए निलंबन का आदेश पारित किया गया।