कानपुरः 15 साल बाद ‘अम्मा’ की घर वापसी, उर्सला अस्पताल बना बेसहारा अम्मा का सहारा

डिजिटल डेस्क- कानपुर में एक ऐसी भावुक घटना सामने आई है, जिसने साबित कर दिया कि इंसानियत आज भी ज़िंदा है। उर्सला अस्पताल में पिछले तीन वर्षों से रह रहीं एक बुजुर्ग महिला, जिन्हें अस्पताल का नर्सिंग स्टाफ प्यार से ‘भारतीय अम्मा’ कहकर बुलाता था, आखिर 15 लंबे साल बाद अपने परिवार से मिल गईं। इस मिलन ने सिर्फ़ अम्मा ही नहीं, बल्कि पूरे अस्पताल में मौजूद स्टाफ की आंखें नम कर दीं। करीब 15 साल पहले अम्मा अपने घर से बिछड़ गई थीं। मानसिक रूप से थोड़ी अस्थिर होने के कारण वे अपना परिचय ठीक से बता नहीं पाती थीं। तीन साल पहले तबियत बिगड़ने पर कुछ लोगों ने उन्हें उर्सला अस्पताल में भर्ती करवाया और फिर दोबारा लौटकर नहीं आए। इसके बाद से अम्मा बिल्कुल अकेली पड़ गईं। लेकिन उर्सला अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ ने उन्हें कभी अकेला महसूस नहीं होने दिया। किसी मरीज की तरह नहीं, बल्कि एक मां की तरह उनकी देखभाल की। दवा, इलाज, खाना, कपड़े, रात–दिन की सेवा… सब कुछ परिवार की जिम्मेदारी की तरह निभाया। अस्पताल की हर नर्स के लिए अम्मा एक ड्यूटी नहीं, बल्कि भावना बन चुकी थीं।

अम्मा की टूटी-फूटी यादों से बनती गई कड़ी

अम्मा की सेवा कर रही नर्सों ने बताया कि अम्मा हमारे लिए मरीज नहीं, परिवार जैसी थीं। हमनें तीन साल तक उनकी देखभाल की। जब उनका घर मिला और उन्हें वापस भेजा गया, तो हमें भी वैसी ही खुशी हुई जैसे अपने किसी अपने को घर छोड़कर आ रहे हों। नर्सिंग स्टाफ ने लगातार कोशिशें कीं कि किसी तरह अम्मा की असली पहचान और उनका घर पता चले। धीरे-धीरे मिली छोटी-छोटी जानकारियों, अम्मा की टूटी-फूटी यादों और स्थानीय प्रशासन की मदद से आखिरकार उनका परिवार मिल ही गया।

अम्मा से मिलकर भावुक हुआ परिवार

जब अस्पताल टीम अम्मा को उनके घर लेकर पहुंची तो दरवाज़ा खुलते ही परिवार की चीखें, रोना, हँसी, गले लगना, सब मिलकर माहौल को भावुक बना गया। वर्षों से बिछड़े अपनों के मिलने का दृश्य देखकर अस्पताल स्टाफ भी अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाया। अम्मा भी अपने घर की दहलीज़ देखते ही फफक कर रो पड़ीं।