ईंट भट्ठों के मजदूरों के बच्चों के लिए उम्मीद की किरण बनी ‘आशा ट्रस्ट’, शिक्षा और बेहतर जीवन की राह कर रही रोशन

आकाश रावत- ईंट भट्ठों पर काम करने वाले मजदूरों के बच्चों का भविष्य अक्सर अंधेरे में सिमटकर रह जाता है। आर्थिक तंगी, अशिक्षा और अस्थायी जीवन के कारण ये बच्चे पढ़ाई से दूर हो जाते हैं, लेकिन इसी अंधेरे में रोशनी की किरण बनकर सामने आई है ‘आशा ट्रस्ट’। संस्था इन बच्चों को न सिर्फ आश्रय और भोजन उपलब्ध करा रही है बल्कि उन्हें सीबीएसई पैटर्न के विन्यास पब्लिक स्कूल में पढ़ाई का अवसर भी दे रही है। संस्था के संचालक महेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि वर्ष 2006 में कानपुर के कल्याणपुर में ‘अपना घर’ की शुरुआत की थी। मजदूरों के बच्चों को यहां ठहरने, खाने और पढ़ाई की पूरी सुविधा दी जाती है। अब तक सैकड़ों बच्चे यहां से शिक्षा लेकर मुख्यधारा से जुड़े हैं। संस्था की मदद से पढ़े भट्टा मजदूर तोताराम का बेटा सोनू पुलिस में भर्ती हुआ, जबकि ज्ञान और धर्मेंद्र बड़ी कंपनियों में इंजीनियर के रूप में कार्यरत हैं। वहीं मुकेश, बेंगलुरु की अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी से मास्टर इन एजुकेशन पूरा कर वर्तमान में ‘अपना घर’ से संचालित 20 स्कूलों के कोऑर्डिनेटर के पद पर काम कर रहे हैं।

मौजूदा समय में 40 बच्चे कर रहे पढ़ाई

इस समय संस्था में 40 बच्चे कक्षा 3 से 12वीं तक की पढ़ाई कर रहे हैं। ये बच्चे अपने माता-पिता से दूर रहते हुए न सिर्फ पढ़ाई में बल्कि स्कूल की प्रतियोगिताओं में भी अव्वल साबित हो रहे हैं। हाल ही में संस्था के चार छात्रों ने 10वीं बोर्ड में बेहतरीन प्रदर्शन किया—अमित ने 83%, सुल्तान ने 77%, नवलेश ने 76% और अजय ने 72% अंक प्राप्त किए।

सहयोग से बढ़ रहा हौसला

संस्था को माला इंडिया की ओर से आर्थिक सहयोग मिलता है, जिसका उपयोग बच्चों की फीस, भोजन और रहने की व्यवस्था में किया जाता है। विन्यास पब्लिक स्कूल भी बच्चों की फीस में 40% की छूट प्रदान करता है। इसके अलावा, रामा मेडिकल कॉलेज बच्चों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा देता है। कई डॉक्टर अपने जन्मदिन भी इन्हीं बच्चों के साथ मनाते हैं।

समाज में नई सोच का उदाहरण

संस्था का यह प्रयास न केवल मजदूर परिवारों को राहत दे रहा है बल्कि इन बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की राह भी खोल रहा है। स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन इसे नई सोच और सकारात्मक बदलाव का उदाहरण मान रहे हैं।