रिपोर्ट- रणविजय सिंह
अमेठी, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले ही जीरो टॉलरेंस की बात करती हो लेकिन उन्हीं के अधिकारी और कर्मचारी सरकार को बदनाम करने में लगे हुए हैं. ऐसा ही एक भ्रष्टाचार का मामला वीवीआइपी जनपद अमेठी के जनपद मुख्यालय गौरीगंज नगर पालिका से प्रकाश में आया है. जहां पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है. जिसके लिए भारतीय जनता पार्टी के नामित सभासद ओपी सिंह के द्वारा लगातार जांच कराने के लिए पत्र लिखा जा रहा था. लेकिन उस पत्र का कहीं पर कोई संज्ञान नहीं ले रहा था. ऐसे में ओपी सिंह ने अब तक 26 पत्र संबंधित अधिकारियों को लिखे लेकिन किसी के द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया गया. अंत में थक हार कर उन्होंने एक पत्र अमेठी सांसद व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को उनके दौरे पर थमाया तब स्मृति ईरानी ने उस पत्र का संज्ञान लेते हुए तत्काल अपनी ओर से एक पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश शासन को अवगत कराते हुए जांच कराने की बात कही. उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश पर जिला अधिकारी अमेठी राकेश कुमार मिश्र ने गौरीगंज एसडीएम राकेश कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन फरवरी माह में कर दिया. जिसमें चिकित्सा विभाग के वित्त अधिकारी और पीडब्ल्यूडी के एई शामिल थे. इस जांच कमेटी ने गहनता से नगरपालिका गौरीगंज के द्वारा कराए गए कार्यों की जांच किया. जिसमें उन्होंने पाया कि रायबरेली रोड पर बनाई गई एक सड़क के किनारे नाली निर्माण किया ही नहीं गया है. जबकि भुगतान सबक और नाली दोनों का हो गया है. यही नहीं इसके अतिरिक्त और भी तमाम ऐसे कार्य हैं जिसमें भौतिक रूप से कार्य नहीं किया गया है और उसका भुगतान हो चुका है. ऐसे करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार का मामला उजागर हो रहा है. जिसमें गौरीगंज नगर पालिका के तत्कालीन अधिशासी अधिकारी सुरजीत सिंह और जेई को वित्तीय अनियमितता का दोषी पाया गया और उनके खिलाफ कार्यवाही की भी संस्तुति की गई है. इसी के साथ नगर पालिका क्षेत्र में कई जगहों पर जांच शुरू होने के बाद काम कराए जाने का उल्लेख भी रिपोर्ट में किया गया है.
भ्रष्ट अधिकारी का हो चुका है तबादला
आपको बता दें कि जिस अधिशासी अधिकारी नगर पालिका गौरीगंज के कार्यकाल में इतना बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है वह इस समय अमेठी जनपद में नहीं है बल्कि पिछले 27 दिसंबर 2022 को उनका यहां से तबादला हो गया वर्तमान में वह सीतापुर जनपद के मिश्रिख के ईओ बनाए गए हैं.