डिजिटल डेस्क- उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से मानवता को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। यहां कलयुगी बेटों ने अपनी मां के शव को घर में लाने से साफ इनकार कर दिया। वजह इतनी अमानवीय कि सुनकर दिल दहल जाए—बड़े बेटे के घर पोते की शादी हो रही थी, इसलिए उसने कहा कि “घर में डेड बॉडी आई तो अपशकुन हो जाएगा। मृतका शोभा देवी और उनके पति भुआल गुप्ता के 6 बच्चे हैं। तीन बेटे और तीन बेटियां। दोनों ने जीवन भर बच्चों को पाल-पोसकर बड़ा किया, उनकी शादियां कराईं, लेकिन बुढ़ापे में उन्हें अपनों ने ही पराया कर दिया। एक साल पहले बड़े बेटे ने बुजुर्ग दंपती को घर से यह कहकर निकाल दिया था कि वे घर पर बोझ बन गए हैं। यह बात उनके दिल पर लगी और दोनों घर छोड़कर निकल पड़े।
हताश दंपत्ति ने आत्महत्या का बनाया था प्लान
हताश दंपती ने आत्महत्या करने का भी मन बनाया और राजघाट पहुंच गए, लेकिन वहां एक शख्स ने उन्हें ऐसा कदम उठाने से रोक लिया। सलाह दी कि मथुरा या अयोध्या चले जाएं, जहां रहने-खाने की व्यवस्था मिल जाएगी। लेकिन दोनों जगह उन्हें सहारा नहीं मिला। अंततः वे जौनपुर के एक वृद्धाश्रम पहुँचे, जहाँ हेड रवि कुमार चौबे ने उन्हें सहारा दिया। इसी बीच शोभा देवी को लकवा मार गया। इलाज चलता रहा, पर स्थिति खराब होती गई। 19 नवंबर को तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनका निधन हो गया। वृद्धाश्रम संचालक ने बच्चों को फोन कर अंतिम संस्कार के लिए बुलाया, लेकिन छोटे बेटे ने कहा कि शादी का माहौल है, अंतिम संस्कार चार दिन बाद किया जाएगा और तब तक शव को फ्रीजर में रख दिया जाए।
बेटियों के आग्रह पर गोरखपुर लेकर पहुंचे थे शव
पति भुआल यह सुनकर टूट गए। बेटियों ने आग्रह किया कि मां का अंतिम संस्कार गोरखपुर में किया जाए, लेकिन जब वे शव लेकर पहुंचे, तो बड़े बेटे ने घर में शव लेने से इनकार कर दिया। गांव वालों और रिश्तेदारों के दबाव में भुआल ने मजबूरी में पत्नी को कैंपियरगंज के पास मिट्टी में दफना दिया। भुआल गुप्त रोते हुए बोले कि मैं अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाया। चार दिन बाद शव में कीड़े लग जाएंगे। पंडित ने भी कहा कि दफनाने के बाद शव को निकालकर दाह संस्कार संभव नहीं।”