लखनऊ :आयुष घोटाले का मामले में NEET 2021 की परीक्षा से जुड़ा है, इसमें बड़े स्तर पर हेराफेरी का आरोप है, इसमें परीक्षा में कम मेरिट के 891 छात्रों को यूपी के आयुर्वेदिक होम्योपैथिक व यूनानी कॉलेज में प्रवेश दिया गया था,गंभीर बात ये है कि मेरिट में कम नंबर लाने वाले छात्रों को अच्छे कॉलेजों में प्रवेश कैसे मिल गया,
उत्तर प्रदेश के आयुष घोटाले मामले की जांच कर रही STF की टीम पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी से पूछताछ करेगी, की टीम पूर्व मंत्री व उनके पूर्व सचिव राजकुमार दिवाकर के बयान के आधार पर पूछताछ करेगी,क्योकि राजकुमार दिवाकर ने को जो बयान दिए है उसमें कहा है कि आयुष कॉलेज को मान्यता देने के लिए मंत्री धर्म सैनी को रिश्वत ली थी,
पूरा मामला
मामला NEET 2021 की परीक्षा से जुड़ा है, जिसमें बड़े स्तर पर गड़बड़ी हुई थी, असल में इस परीक्षा में कम मेरिट के 891 छात्रों को उत्तर प्रदेश के फार्मेसी आयुर्वेद,यूनानी कॉलेज में प्रवेश देने मे किया गया था, सबसे ज्यादा धांधली फार्मेसी के कॉलेजों में प्रवेश को लेकर सामने आई थी, सोचने वाली बात ये है कि मेरिट लिस्ट से बाहर हुए छात्रों को प्रवेश किसने दे दिया, कुछ छात्र तो ऐसे है जिन्होनें बिना नीट किए ही दाखिला ले लिया,इस मामले में पिछले वर्ष में हजरतगंज में FIR दर्ज कराई गई थी,
चार्जशीट में इन इन लोगों के नाम
फार्मेसी के मामले में यूपी STF ने हाल ही में चार्जशीट दाखिल की थी,इस चार्जशीट में पूर्व निदेशक एसएन सिंह,डॉ रमाकांत सिंह , राजेश सिंह,कैलाश भास्कर समेत 15 लोगों के नाम दर्ज है, वहीं पूर्व सचिव का आरोप है कि आयुष में UG को मान्यता देने के लिए पूर्व मंत्री धर्म सैनी को लगभग 1करोड़ 10 लाख व PG के लिए पचास लाख की रिश्नवत मिली ,
चुनाव के दौरान भाजपा से सपा की ओर रखा था कदम
धर्म सिंह सैनी योगी की पिछली सरकार में आयुष मंत्री थे, मगर विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा पर पिछड़ों ,दलितों की अपमान करने का आरोप लगाया था और पार्टी को छोड़कर सपा में आ गए थे,पूर्व मंत्री सैनी सपा पार्टी की तरफ से सहारनपुर की नकुड़ से चुनाव लडे़ थे,लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा,उसके बाद वो सपा के कार्यक्रमों से कटने लगें,कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि सीएम योगी की मौजूदगी में फिर से ये भाजपा का दामन थामना चाहते थे,मगर आखिरी समय में उनकी वापसी टल गई,