1978 के दंगे का दफन सच बाहर आने की कोशिश, संभल में बुजुर्ग की कथित हत्या की जांच फिर से शुरू, जिलाधिकारी ने कराया कुएँ का निरीक्षण, खुदाई जारी

डिजिटल डेस्क- संभल जिले में 46 साल पुराने दंगे से जुड़े एक कथित हत्याकांड की जांच एक बार फिर सुर्खियों में है। 1978 के सांप्रदायिक दंगे में मारे गए बुजुर्ग सुभान चंद रस्तोगी की मौत का मामला वर्षों बाद फिर खुल रहा है। पीड़ित परिवार के वारिस कपिल रस्तोगी ने जिलाधिकारी को दिए शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि दंगे के दौरान उनके दादा की निर्मम हत्या कर शव को गांव के एक कुएँ में फेंक दिया गया था। लेकिन राजनीतिक दबाव और प्रभावशाली लोगों के संरक्षण के चलते मामला दबा दिया गया और न्याय आज तक नहीं मिल सका।

सही जांच न करने का लगाया आरोप

कपिल रस्तोगी का कहना है कि 1978 में नखासा थाना क्षेत्र में IPC की धारा 136/78, 302 और 201 के तहत केस दर्ज हुआ था, लेकिन असली जांच कभी हुई ही नहीं। उनका आरोप है कि परिवार को धमकाया गया, गवाहों पर दबाव बनाया गया और पुलिस रिपोर्ट कोर्ट तक सही रूप में नहीं पहुंचाई गई। उन्होंने दावा किया कि हत्यारोपियों को सत्ता से जुड़े लोगों का संरक्षण मिलने के कारण मामला चार दशकों से भी अधिक समय तक दफ्न रहा।

मौके पर पहुंचे डीएम और एसपी

पीड़ित की तहरीर पर जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पसिया और पुलिस अधीक्षक केके बिश्नोई मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने उस पुराने कुएँ का निरीक्षण किया जहां कथित रूप से शव फेंका गया था। निरीक्षण के बाद डीएम ने तत्काल खुदाई कराने का आदेश दिया। सोमवार सुबह प्रशासन की निगरानी में कुएँ की खुदाई शुरू की गई। खुदाई के दौरान वहां एक मजार बने होने की जानकारी सामने आई, जिसके बाद प्रशासन ने इस पहलू की अलग से जांच शुरू कर दी है।

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