“बंद करो पाठशाला, खोलो मधुशाला”, स्कूल विलयीकरण पर तेज हुई राजनीति, सपा ने पोस्टर लगा जताया विरोध

शिव शंकर सविता- प्रदेश सरकार द्वारा 50 बच्चों से कम संख्या वाले विद्यालयों को बंद करते हुए बच्चों को दूसरे विद्यालय में भेजने के फैसले के बाद पूरे प्रदेश के शिक्षक और अभिभावकों नें रोष व्याप्त है। हालांकि हाई कोर्ट ने सरकार के इस फैसले पर सहमति जताते हुए याचिका खारिज कर दी है। वहीं शिक्षकों के सामने भी इस आदेश के अनुपालन में कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। मंगलवार को सरकार के इस आदेश का अनुपालन कराने के चलते बच्चों को दूसरे विद्यालय में भेज रहे शिक्षकों को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया था। वहीं अब इस आदेश पर राजनीति तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी की तरफ से पोस्टर लगाकर इसका विरोध जताया जा रहा है।

अमेठी में पोस्टर लगा बोला हमला

बता दें कि सपा दफ्तर के सामने अमेठी जिले के सपा नेता जयसिंह प्रताप ने एक पोस्टर लगवाया है, जिसमें उनकी और अखिलेश यादव की तस्वीर लगी हुई है। साथ ही पोस्टर में स्लोगन भी लिखा हुआ है। स्लोगन के जरिए योगी सरकार पर करारा हमला बोला है। जिसमें लिखा है- ये कैसा रामराज्य? बंद करो पाठशाला, खोलो मधुशाला!

नई आबकारी नीति के तहत खोली गई हैं 25677 शराब की दुकानें

बताते चलें कि नई आबकारी नीति के तहत वर्ष 2025 में प्रदेश सरकार ने पूरे प्रदेश में 25677 शराब की दुकानों को खोलने के लिए मंजूरी प्रदान की है। इसमें देशी मदिरा की 15,906 दुकानें, 9341 कंपोजिट शॉप, 430 माॅडल शॉप के अलावा 1317 भांग की दुकानें भी शामिल हैं। बता दें कि नई आबकारी नीति के तहत पहली बार कंपोजिट शॉप का आवंटन किया गया है। इन दुकानों के आवंटन से राज्य सरकार को 4278.80 करोड़ रुपये लाइसेंस फीस मिलेगी।

क्या है सरकार का आदेश?

उत्तर प्रदेश में 1.40 लाख सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में से लगभग 29,000 स्कूलों में 50 या उससे कम छात्र हैं। इन स्कूलों में 89,000 शिक्षक पढ़ाते हैं। यूपी सरकार का कहना है कि इन स्कूलों को समीप के बड़े स्कूलों में विलय करने से संसाधनों का और बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा। इससे बेहतर बुनियादी ढांचा, पुस्तकालय और कक्षाओं की सुविधाएं भी बढ़ जाएंगी। इसके साथ ही यह नीति केंद्रीय सरकार के स्कूलों को पूर्ण रूप से कार्यात्मक बनाने और संसाधनों के इस्तेमाल के प्रस्ताव के अनुरूप है।