नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए हर पार्टी अपनी पूरी जान लगा रही है, लेकिन BSP इस मामले में बहुत ठंडी नज़र आ रही है। मायावती अभी तक किसी भी रैली में नहीं गयी है साथ ही उन्होंने अभी तक चुनाव का प्रचार तक नहीं किया है। मायावती की चुप्पी पर कई तरह के सवाल उठ रहे है, जिसपर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बसपा (BSP) के “लो-प्रोफाइल चुनावी अभियान” पर “आश्चर्य” व्यक्त किया है।
एएनआई के साथ एक साक्षात्कार में गांधी ने कहा, ‘छह-सात महीने पहले हम सोचते थे कि उनकी पार्टी सक्रिय नहीं है, शायद वे चुनाव के करीब शुरू हो जाएं लेकिन अब हम भी बहुत हैरान हैं कि चुनाव शुरू हो चुका है. हम चुनावों के बीच में हैं. बावजूद इसके वो सक्रिय नहीं हैं.’ प्रियंका ग़ांधी ने BSP की ठंडी प्रचार प्रक्रिया पर कहा है कि, राज्य में चुनावों के बीच भी बसपा शांत बनी हुई है। व्यापक धारणा के बारे में पूछे जाने पर कि बसपा प्रमुख मायावती चुनावों में अपने सामान्य अंदाज में प्रचार नहीं कर रही हैं बल्कि चुप हैं,प्रियंका गांधी ने कहा कि वह भी यह देखकर हैरान हैं।
भाजपा सरकार BSP पर बना रही दवाब-
कांग्रेस महासचिव ने कहा, “जैसा कि आपने कहा, (वह) बहुत शांत हैं, मैं समझ नहीं पा रही हूं. यह संभव है कि भाजपा सरकार उन पर दबाव बना रही हो.” पांच चुनावी राज्यों और अन्य राज्यों में उनकी भूमिका के बारे में पूछे जाने पर प्रियंका गांधी ने कहा कि उन्होंने असम और गोवा में प्रचार किया है लेकिन यूपी में शांत हैं। उन्होंने कहा, “जहां भी मेरी पार्टी मुझसे प्रचार करने को कहती है, मैं वहां-वहां चुनाव प्रचार करती हूं.”
यह पूछे जाने पर कि यूपी में कांग्रेस की गठबंधन वार्ता सफल नहीं रही और क्या अन्य राज्यों में अपने दम पर ही चुनाव लड़ना कांग्रेस का मॉडल होगा? प्रियंका गांधी ने कहा कि चुनाव पूर्व गठबंधन या अपने दम पर चुनाव लड़ना कांग्रेस के लिए एक “डायनमिक पॉलिसी” होगी। उन्होंने कहा, “मैं उत्तर प्रदेश के लिए बोल सकती हूं. हमने यूपी में अतीत में गठबंधन के साथ प्रयोग किया है, हमने 2017 में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था, इससे पहले, हमने बसपा के साथ गठबंधन किया था. इसलिए उत्तर प्रदेश में, हमारे पास यही रास्ता है, जिसे हमने चुना है. मैं अन्य राज्यों के बारे में नहीं बोल सकती कि क्या कांग्रेस पार्टी इस रास्ते पर चलेगी. मुझे लगता है कि इस बारे में पार्टी की एक गतिशील नीति है और यह निर्णय उसी आधार पर होगा.”