डिजिटल डेस्क- अलीगढ़ में जेल रोड स्थित एक निजी अस्पताल की गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है, जिसने स्वास्थ्य विभाग से लेकर स्थानीय प्रशासन तक को हिला दिया है। आरोप है कि ऑपरेशन के दौरान अस्पताल ने एक महिला को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ा दिया। घटना सामने आने के बाद महिला के परिजनों ने आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत दर्ज की, जिसके बाद पूरा विभाग हरकत में आ गया है। मामला राजस्थान के डिंग कस्बे से जुड़े एक बंजारा परिवार का है। परिवार की एक महिला अलीगढ़ स्थित अपने मायके आई हुई थी, जहां तबीयत बिगड़ने पर उसे जेल रोड स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि महिला को तत्काल ऑपरेशन की आवश्यकता है, जिसके लिए रक्त की जरूरत होगी। अस्पताल की ओर से जारी डिमांड लेटर में बी पॉजिटिव ग्रुप का फ्रेश ब्लड मांगा गया था। इसके बाद महिला के बहनोई ने जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में रक्तदान किया। ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने रैपिड टेस्ट और ग्रुप मैचिंग की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद रक्त निजी अस्पताल को उपलब्ध करा दिया। ऑपरेशन के दौरान यही रक्त महिला को चढ़ा दिया गया।
ब्लड जांच में निकला एचआईवी पॉजिटिव
करीब एक महीने बाद महिला के बहनोई की जांच रिपोर्ट में एचआईवी पॉजिटिव पाया गया तो परिवार में सनसनी फैल गई। परिवार ने तुरंत इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दी और आईजीआरएस पोर्टल पर अस्पताल की लापरवाही के खिलाफ आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई। शिकायत दर्ज होते ही स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया और जिला प्रशासन ने भी मामले को गंभीरता से लिया। प्राथमिक जांच के बाद एडी हेल्थ डॉ. मोहन झा ने बताया कि रैपिड जांच के समय रक्तदाता “विंडो पीरियड” में हो सकता है। इस अवधि में वायरस शरीर में मौजूद तो रहते हैं, लेकिन रैपिड या सामान्य जांच में पकड़ में नहीं आते। उन्होंने कहा कि हालांकि यह वैज्ञानिक तथ्य है, लेकिन इस तरह की घटनाएं ब्लड टेस्टिंग सिस्टम की मजबूती और प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
जांच के लिए उच्च स्तरीय टीमें गठित
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. नीरज त्यागी ने उच्च स्तरीय जांच समिति गठित कर दी है। इस समिति में दीनदयाल अस्पताल और जेएन मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ विशेषज्ञों को शामिल किया गया है, जो ब्लड बैंक से लेकर निजी अस्पताल तक की पूरी प्रक्रिया की गहन जांच करेंगे। सीएमओ ने कहा कि समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। यदि लापरवाही सिद्ध होती है, तो संबंधित अस्पताल और जिम्मेदार कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। परिवार इस पूरे प्रकरण से सदमे में है और महिला के स्वास्थ्य की निगरानी शुरू कर दी गई है।