महोबा में वोटर फर्जीवाड़े का AI से खुलासा – तीन कमरों के घर में 4271 मतदाता, चुनाव आयोग और सरकार पर उठे सवाल

शिव शंकर सविता- उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से चुनावी धांधली की परतें खुल रही हैं। महोबा के जैतपुर गांव से जो तस्वीर सामने आई है, उसने न सिर्फ स्थानीय प्रशासन बल्कि पूरे राज्य निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पंचायत चुनाव से पहले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सर्वे में पाया गया कि सिर्फ तीन कमरों के एक मकान में 4271 मतदाताओं का रजिस्ट्रेशन दर्ज है। हैरानी की बात यह है कि गांव की कुल मतदाता संख्या 16 हजार है और इनमें से करीब 27 प्रतिशत वोट सिर्फ इसी एक मकान पर दर्ज पाए गए। साफ है कि ये वोट यदि किसी भी प्रत्याशी को पड़ते, तो उसकी जीत सुनिश्चित हो जाती। इतना ही नहीं, इन वोटों से दो ग्राम पंचायत सदस्य और एक बीडीसी सदस्य का चुनाव भी प्रभावित हो सकता था।

जानकारी पाकर मकान मालिक हुआ हैरान

AI की जांच के बाद जब BLO मौके पर पहुंचा और मकान मालिक को बताया, तो वह खुद हैरान रह गया। उसने कहा कि उसे बिल्कुल अंदाजा नहीं है कि इतने वोट उसके पते पर कैसे दर्ज हो गए। मकान मालिक का यह बयान चुनाव आयोग की कार्यशैली और मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर सीधा सवाल है। इस खुलासे ने विपक्ष को भी बड़ा मुद्दा थमा दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी बार-बार “वोट चोरी” का मुद्दा उठाते रहे हैं। अब महोबा का यह फर्जीवाड़ा उस दावे को सच साबित करता दिख रहा है। राहुल गांधी ने कई बार कहा है कि बीजेपी चुनाव दर चुनाव लोकतंत्र को कमजोर कर रही है और वोट चोरी कर सत्ता पर काबिज होती है। महोबा का यह मामला उनकी बात को और मजबूत करता है।

पान की दुकान के पते पर भी मिले 243 वोट

गौरतलब है कि इससे पहले भी महोबा जिले में एक पनवाड़ी के पते पर 243 वोट दर्ज पाए गए थे। बार-बार सामने आ रहे ऐसे मामले यह सवाल उठाते हैं कि क्या चुनाव आयोग वास्तव में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में सक्षम है या फिर वोटर लिस्ट ही सत्ता के इशारों पर तैयार होती है।

पंचायत चुनाव से पहले हो रहा मतदाता सूची पुनरीक्षण

उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव से पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यक्रम शुरू किया है, जो 20 सितंबर तक चलेगा। इस बार एआई के जरिए बोगस वोटों की पहचान की जा रही है। लेकिन असल सवाल यह है कि जब फर्जी वोट इतने वर्षों से लिस्ट में मौजूद थे, तो आयोग और सरकार अब तक क्या कर रहे थे?