KNEWS DESK, रामनगरी में 14 कोसी परिक्रमा का आगाज आज से हो रहा है। यह परिक्रमा हर साल अक्षय नवमी के मौके पर होती है और इस साल भी हजारों श्रद्धालु अयोध्या पहुंच चुके हैं। कार्तिक शुक्ल नवमी पर आयोजित होने वाली इस परिक्रमा का शुभारंभ शनिवार शाम 6:32 बजे हुआ और यह रविवार शाम 4:45 बजे तक जारी रहेगी।
अक्षय नवमी का पर्व विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसे पुण्य के संदर्भ में विशेष दिन माना जाता है। इस दिन किए गए अच्छे कर्मों का क्षय नहीं होता, इस विश्वास के चलते लाखों श्रद्धालु यहां आकर पुण्य अर्जन करने की कोशिश करते हैं। परिक्रमा करने से जीवन के पापों का नाश होने की भी मान्यता है, जो श्रद्धालुओं को इस धार्मिक यात्रा में शामिल होने के लिए प्रेरित करती है। वहीं 14 कोसी परिक्रमा लगभग 50 किलोमीटर की लंबी होती है और इसमें औसतन 8 से 10 घंटे का समय लगता है। यह परिक्रमा नंगे पांव चलने की परंपरा के साथ होती है इसलिए यात्रा के मार्ग को आसान बनाने के लिए मेला प्रशासन ने पूरी परिधि पर बालू का छिड़काव किया है। श्रद्धालु पूरे मार्ग पर पग-पग चलकर भगवान राम की पूजा-अर्चना करते हैं और इस दौरान ठंडी रात का समय होने से परिक्रमा करना सहज हो जाता है। परिक्रमा की शुरुआत और समापन श्रद्धालु अपने सुविधानुसार करते हैं, लेकिन उन्हें उसी स्थान पर लौटना होता है जहां से उन्होंने अपनी यात्रा शुरू की थी।
श्रद्धालुओं का आगमन जारी
अयोध्या में श्रद्धालुओं का आना शुरू हो चुका है और वे अपने-अपने गुरु धामों में आश्रय ले रहे हैं। परिक्रमा के साथ-साथ अयोध्या में कार्तिक पूर्णिमा स्नान मेला भी शुरू हो रहा है। इस मेला के दौरान श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और तुलसी व आंवला के वृक्ष का पूजन कर दीपदान करते हैं।
विशेष मुहूर्त और धार्मिक मान्यता
अक्षय नवमी की तिथि को लेकर विशेष मान्यता है कि इस दिन किए गए सभी धार्मिक कर्मों का प्रभाव अनंतकाल तक बना रहता है। इसी दिन रामनगरी की 14 कोसी परिक्रमा का मुहूर्त निर्धारित होता है, जो श्रद्धालुओं के लिए खास होता है। इसके चलते अयोध्या में धर्मनिष्ठा और आस्था का माहौल बना हुआ है।
14 कोसी परिक्रमा का ऐतिहासिक महत्व
यह परिक्रमा राम के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है और अयोध्या की पवित्रता को बढ़ाती है। परिक्रमा मार्ग में प्रमुख मंदिरों और धार्मिक स्थल शामिल हैं, जहां श्रद्धालु विश्राम करते हुए पूजा-अर्चना करते हैं। यह धार्मिक यात्रा केवल एक शारीरिक कसरत नहीं, बल्कि आस्था और भक्ति का एक अभिव्यक्तिक रूप है, जिसमें श्रद्धालु पूरी श्रद्धा से भाग लेते हैं।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
14 कोसी परिक्रमा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह अयोध्या के सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित करती है। इस यात्रा के माध्यम से श्रद्धालु राम की भक्ति में एकरूप होते हैं और अपनी धार्मिक आस्थाओं को पुनः सुदृढ़ करते हैं। साथ ही यह अयोध्या शहर को एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल के रूप में स्थापित करती है।