डिजिटल डेस्क- उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने जहां सभी जिलों के अधिकारियों को कार्यालय में बैठकर जनसुनवाई करने व जन समस्याओं और शिकायतों के संबंध में किए जाने वाले फोन उठा कर बात करने के निर्देश दिए थे, लेकिन कासगंज जनपद के अधिकारी कार्यालय में बैठकर जनसुनवाई करने तो दूर अपने सीयूजी फोन तक उठाने की जहमत नहीं उठाना मुनासिब नहीं समझते। इसका खुलासा तब हुआ जब जिलाधिकारी कासगंज उन्हें कॉल करती रहीं, लेकिन उन्होंने उनका फोन भी नहीं उठाया। वह एक-दो नहीं बल्कि पूरे 11 अधिकारियों के फोन नहीं उठे। मामला जनपद कासगंज का का है, दरअसल अलीगढ़ मंडल कमिश्नर संगीता सिंह के पास जिले के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा लोगों के जन समस्याओं और शिकायतों के संबंध में किए जाने वाले फोन नहीं उठाने की शिकायतें पहुंच रही थीं। इससे लोग बार-बार फोन करके परेशान होते हैं। कमिश्नर ने इस संबंध में जिलाधिकारी मेधा रूपम को रियलिटी चेक करने के निर्देश दिए। जिस पर जिलाधिकारी कासगंज मेधा रुपम द्वारा जिले के अधिकारियों को कॉल कराए तो जिले के 11 अफसरों ने फोन नहीं उठाया।
ये सभी हुए रियलटी चेक में फेल
जिन अधिकारियों को फोन किए गए उनमें खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग के अधिकारी सुनील कुमार जनसुनवाई के समय तक ऑफिस में नहीं पाए गए और उन्होंने फोन पर पटियाली में होना बताया। इनके अलावा डीआईओएस पीके मौर्य को कई बार फोन कॉल लगाया गया, लेकिन फोन नहीं उठा। एआरएम ओमप्रकाश, सीएमओ डॉ. राजीव अग्रवाल, जिला प्रबंधक को-ऑपरेटिव समिति प्रिया, सूचना अधिकारी मिथलेश कुमार, अधिशासी अधिकारी जल निगम विश्वजीत, अधिशासी अधिकारी निर्माण खंड नंद किशोर के भी फोन नहीं उठे। इन सभी को अनेक बार फोन लगाए गए लेकिन इनकी ओर से जवाब नहीं दिया गया, होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. मंजू भी चिकित्सालय में मौजूद नहीं रहीं, वह निरीक्षण पर निकली थीं। वहीं जिला उद्यान अधिकारी रविंद्र कुमार जयसवार भी 11:30 बजे तक ऑफिस नहीं पहुंचे थे।
सभी अफसरों से माँगा गया स्पष्टीकरण
रियलिटी चेक में जिले के विभिन्न विभागों के प्रशासनिक अधिकारियों की यह लापरवाही देखकर कमिश्नर संगीता सिंह और जिलाधिकारी मेधा रूपम भी अचंभित रह गईं। उन्होंने सख्ती करते हुए सभी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। जिलाधिकारी के मुताबिक अगर स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं पाया जाता है संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा जाएगा।