लखनऊ :— सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव द्वारा दिया एक राजनीतिक बयान पार्टी के गले की हड्डी बनता दिखायी दे रहा है। उन्होंने यादव और मुस्लमानों के वोटर लिस्ट से नाम काटने का एक बड़ा बयान चुनावी सभा में दिया था। उस समय तो किसी ने उनके बयान की तरफ खास तवज्जों नहीं दी। लेकिन बदले राजनीतिक हलात में अब वह बयान एक सियासी टूल बन गया है। चुनाव आयोग ने अखिलेश यादव को नोटिस जारी कर 10 नवम्बर तक जवाब दाखिल करने को कहा है।
सपा अध्यक्ष ने अब पार्टी के सभी उम्मीदवारों चाहे वह चुनाव जीते हो या फिर हारे हों के अतिरिक्त जिला इकाइयों के शीर्ष पदाधिकारियों से उन नामों के सबूत इकट्ठा करने को कहा है, जिनके नाम कथित रूप से मतदाताओं की सूची में गलत तरीके से काटे गए थे।
पार्टी ने उम्मीदवारों के लिए पार्टी मुख्यालय में दस्तावेज जमा करने की समय सीमा 3 नवंबर निर्धारित की है।
इस आशय का पत्र सभी को सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की ओर से भेजा गया है। पत्र में ऐसे मतदाताओं से हलफनामा लेने के लिए भी कहा गया है, जिनके नाम गलत तरीके से मतदाता सूची से काट दिए गए थे।
गौरतलब है कि 27 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने अखिलेश यादव से 10 नवंबर तक अपने आरोपों के समर्थन में सबूत पेश करने को कहा था। अखिलेश ने 28 अक्टूबर को कहा था, अगर चुनाव आयोग ने 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में मतदाता सूची से संबंधित नियमों का पालन किया होता, तो हजारों मतदाता वोट देने से वंचित नहीं होते।
पिछले महीने सपा प्रमुख ने आरोप लगाया था कि फरवरी-मार्च में राज्य के चुनाव से पहले प्रदेश की लगभग सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों से यादव और मुस्लिम समुदायों के 20 हजार मतदाताओं के नाम हटा दिए गए थे।