(लखनऊ) कुत्तों के हमले का खौफ अभी कम नहीं हुआ था कि अब बंदरों ने हल्ला बोल दिया है। शुरूआत बरेली से हुई है जहां खेत में काम कर रहे एक दर्जन लोगों को बंदरों ने अपना निशाना बनाया है। बंदर किसी का हाथ नोच ले गये तो किसी के कान को काट लिया। यह हाल सिर्फ बरेली का नहीं है बल्कि प्रत्येक जिलें में बंदरों के आतंक से लोग परेशान है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी प्रतिदिन एक दर्जन से ज्यादा लोगों को बंदरों द्वारा काटे जाने की खबर है। बलरामपुर अस्पताल और टीबी हास्पिटल में ही प्रतिदिन एंटी रैबीज डोज लेने वालों की संख्या एक दर्जन से ज्यादा है।
लखनऊ विश्विधालय के प्रोफेसर डा. अजय आर्या कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण जानवारों के बिहेवियर में भी बदलाव आया है और वह हिंसक हो रहे हैं। समाजसेवी रोहित मिश्रा कहते हैं कि पहले लोग पशुसेवा करते थे बंदर, कुत्तें और दूसरे जानवरों के लिए खाने पीने का समान सार्वजनिक स्थानों पर रख दिया जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है और। पशु—पक्षी प्यासे और भूखे हैं और वह हिंसक हो रहे हैं।
बरेली की घटना कोई नई घटना नहीं है। अयोध्या, मेरठ, कानपुर, उन्नाव, लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, सहारनपुर आदि शहरों में लोग बहुत पहले से परेशान है। दुब्ग्गा निवासी शालिनी कहती है कि बंदर फ्रिज खोल कर सामान निकाल ले जाते हैं। आयोध्या निवासी श्रीप्रकाश जायसवाल कहते हैं कि उन्होंने अपने घर और व्यापारिक प्रतिष्टान को लोहे का जाल से ढकवाना पड़ा है। बरेली की घटना भी वीभत्स है। घटना की भायनकता की गवाही चित्र दे रहे हैं। किस क्रूरता के साथ बंदरों ने हाथ चबाया है और चेहरे पर हमला किया है।