उत्तरप्रदेश: आखिर हलाल प्रोडक्ट्स क्या होता है? क्यों यूपी सरकार ने इसको बैन कर दिया है?

KNEWS DESK- उत्तरप्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स पर बैन लगा दी है। इसको लेकर यूपी के प्रयागराज, सहारनपुर, लखनऊ, अलीगढ़ समेत कई जिलों में छापेमारी भी चल रही है। Department of Food Safety and Drug Administration छापेमारी के कार्रवाई कर रहा है। ये तो इस खबर का अपडेट था अब आपको बताएंगे कि आखिर हलाल प्रोडक्ट्स क्या होता है और इन्हें सर्टिफिकेट देता कौन है? और क्यों यूपी सरकार ने इसको बैन कर दिया है?

हलाल अरबी भाषा का शब्द है। इसका हिंदी में मतलब होता है स्वीकार्य। कुरआन शरीफ में भी दो अरबी शब्दों का जिक्र है हलाल और हराम। हलाल यानी कि इस्लाम धर्म के हिसाब से जो स्वीकार्य हो, जिसकी इजाजत हो. और हराम यानी कि जो अस्वीकार्य हो, जिसकी इजाजत न हो। हलाल सर्टिफाइड का मतलब है कि खाने वाला प्रोडेक्ट शुद्ध है और इस्लामी कानून के According तैयार किया गया है। कुछ शाकाहारी मिठाइयों में alcoholic तत्व हो सकते हैं इसलिए उन्हें हलाल की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। भले ही पहले से वो सर्टिफाइड क्यों न हो अब हलाल सर्टिफिकेट दिया क्यों जाता है ये भी आपको बताते हैं- भारत से बड़ी मात्रा में food products का export सिंगापुर, मलेशिया, खाड़ी देशों और कई अंतरराष्ट्रीय बाजारों में होता है, जहां बड़ी संख्या में इस्लामिक आबादी है। ऐसे में देश की अधिकतर कंपनियां अपने प्रोडक्ट के लिए ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ करवाती हैं।

example के लिए आपको बताते हैं कि एक संस्था है हलाल इंडिया। वो अपनी वेबसाइट पर दावा करती है कि हलाल सर्टिफिकेट देने से पहले ये संस्था कई तरह के लैब टेस्ट और ऑडिट से गुजरती है और यही वजह है कि कतर के स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर यूएई और मलयेशिया तक इस सर्टिफिकेट को मान्यता देते हैं  और भारत से जो भी प्रोडक्ट दुनिया के तमाम इस्लामिक देशों को भेजे जाते हैं, उनके लिए ये सर्टिफिकेशन जरूरी होता है।

यूपी सरकार ने इस तरह के सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट्स को बैन कर दिया है और इसके पीछे हवाला दिया है राजधानी लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज एफआईआर का।इसमें कहा गया है कि कुछ कंपनियां एक खास समुदाय में अपने प्रोडक्स की बिक्री बढ़ाने के लिए हलाल सर्टिफिकेट का इस्तेमाल कर रही हैं, जिससे जनभावनाएं आहत हो रही हैं। 17 नवंबर को दर्ज इस एफआईआर के बाद 18 नवंबर को ही योगी सरकार ने इस तरह के सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट्स को पूरे यूपी में बैन कर दिया है।

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