उत्तर प्रदेश: सिंचाई व नमी संरक्षण के नाम पर निर्मित चेकडैम हो रहे ध्वस्त, किसानों ने लघु सिंचाई विभाग पर घटिया निर्माण का लगाया आरोप

रिपोर्ट – सिद्धार्थ द्विवेदी

हमीरपुर – घटिया निर्माण सामग्री लगाकर लघु सिचाई विभाग किसानों के साथ कई सालों से धोखा कर रहा है, नमी संरक्षण होना तो दूर कुछ दिन बाद चेकडैम नष्ट हो रहे है। करोड़ो रुपये के चेकडैम हर साल बनाये व रिपेयरिंग के जाते है मगर किसानों को उससे रत्ती भर लाभ नहीं मिल रहा है। बरसात में पानी भरना तो दूर नीचे एक बूंद पानी नहीं रहता है। जानकारी मुताबिक एक तरफ जहां प्रदेश सरकार का लघु सिंचाई विभाग भूजल सप्ताह का आयोजन करके जल संचयन पर करोड़ों खर्च करके जल संचयन और भूगर्भ जल स्तर बढ़ाने को प्रयासरत है, वहीं क्षेत्र में लघु सिंचाई विभाग द्वारा करोड़ों का बजट खर्च कर बनाए गए| नए चेकडैम रिपेयरिंग कराये गये है मगर ज्यादातर चेकडैम समय से पहले ध्वस्त हो गये है।

सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को पलीता लगाया जा रहा

बता दें कि हमीरपुर जिले के किसानों को अतिरिक्त सिंचाई व जल संरक्षण जल संचयन एवं जल संवर्धन को लेकर सरकार की मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना के तहत जनपद में 6.44 करोड़ की लागत से 13 नये व 36 पुराने चेकडेमों का पुनुद्धार कराया गया है, जिसका मुख्य उद्देश किसानों की खेती अतिरिक्त सिंचित हो सके| वहीं विभाग का मानना है कि एक चेकडैम में एक किलोमीटर तक पानी का जल भराव और बीस हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी, इसमें बीस हजार घनमीटर के भंडारण की क्षमता होगी| इस उद्देश्य के साथ विभाग ने चेकडैम का निर्माण करवाया है लेकिन यहां चेकडेमों का ये हाल है कि ना ही पानी का जल भराव है ना ही जल संरक्षण हो रहा है| केवल विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों की मिली भगत से पैसे का बंदरबॉट कर सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को पलीता लगाया जा रहा है|

सभी चेकडैम ध्वस्त हो रहे है

चेकडैम पानी रोकने की क्रस्टवाल कम से कम दो मीटर 70 सेंटीमीटर चौड़ी होनी चाहिये, नीचे की रिंग वाल 1 मीटर बीस सेंटीमीटर होना चाहिये| वहीं नीचे से आकर दीवार मजबूत बनाये जाने का प्राविधान है मगर सभी चेकडैम मानक के अनुरुप तो दूर रिंग वाल केवल डेढ़ फुट की बनायी जा रही है, जिससे सभी चेकडैम ध्वस्त हो रहे है| यहीं  नहीं एक की लाइफ कम से कम अभिलेखों में पांच साल होना चाहिये| इसके बाद उसकी रिपेयरिंग की जाती है मगर केवल शासन का करोड़ों रुपये ठिकाने लगाने का काम किया जाता है।

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