उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में यातायात दबाव को कम करने के लिए धामी सरकार ने रिस्पना और बिंदाल नदी पर चार लेन एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण करने का निर्णय लिया है। यह एलिवेटेड रोड 6100 करोड़ रुपए की लागत से बनने जा रही है. इसके लिए एलिवेटेड रोड की जद में आने वाले मकानों पर लाल निशान लगना शुरू हो गए है. साथ ही इस क्षेत्र की तमाम रजिस्ट्रियों को भी सीज कर दिया गया है. कुल लागत में से रिस्पना नदी प्रोजेक्ट की लागत 2100 करोड़ रुपए जबकि बिंदाल नदी एलिवेटेड रोड की अनुमानित लागत 4000 करोड़ रुपए रखी गई है. बिंदाल और रिस्पना नदी पर बनने जा रहे एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट को लेकर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है. इसी कड़ी में रिस्पना और बिंदाल नदी पर बनने वाले इस एलिवेटेड प्रोजेक्ट की जद में आने वाले मकानों दुकानों और तमाम संपत्तियों पर निशान लगना शुरू हो गया है. जिसको लेकर विरोध-प्रदर्शन भी शुरू हो गए है। कांग्रेस के पूर्व विधायक राजकुमार के नेतृत्व में नगर निगम देहरादून में प्रदर्शन किया गया। जिसमे कांग्रेस के कई पार्षद और बड़ी संख्या में रिस्पना-बिंदाल निवासी शामिल हुए. पूर्व विधायक ने आरोप लगाते हुए कहा की सरकार पहले तो बस्ती वासियों को बसाती है. उनसे हाउस टैक्स, बिजली बिल सभी अन्य टैक्स लेती है. लेकिन अब एलिवेटेड रोड के निर्माण पर उन्हें बेघर करने का काम कर रही है. कांग्रेस के पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा है कि सरकार को अपना यह फैसला वापस ले लेना चाहिए. वही इसके खिलाफ वह मुख्यमंत्री आवास भी कूच करेंगे.
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रिस्पना-बिंदाल नदी पर बनने वाले एलिवेटेड रोड के प्रोजेक्ट से यहां के लोगों की नींद उड़ गई है। नदी के दोनों तरफ बने घर चिन्हित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. जिसमे हज़ारो घर इसके दायरे में आ चुके हैं। स्थानीय लोगों को यह डर सताने लगा है कि उनके सिर से कहीं छत न छिन जाए। यहां स्मार्ट मीटर तो लगाए गए हैं, मगर सफाई का नामोनिशान नहीं है। हर गली में गंदगी पसरी है और बीमारी का खतरा बढ़ता जा रहा है। विकास के नाम पर उठाए जा रहे कदमों ने लोगों को असमंजस में डाल दिया है। देहरादून के चुक्खूवाला की इंदिरा कॉलोनी के कई घर एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट के दायरे में आ रहे हैं। यहां के लोगों की चिंता बढ़ चुकी है। एक तरफ घर तोड़ने की बात तो दूसरी ओर स्मार्ट सिटी के तहत स्मार्ट मीटर लग रहे हैं। जब ——— के लोगों से बात की गई. तो इस दौरान उन्होंने कहा कि हम गरीब लोग हैं. इसलिए हमारे साथ ऐसा हो रहा है। घर टूट जाएगा तो हम कहां जाएंगे. हमारे पास तो किराया भरने के भी पैसे नहीं हैं. हमारी कॉलोनी काफी साल से बसी हुई है. सरकार को हमें बेघर करने से पहले पूरी जानकारी देनी चाहिए. इसके बाद हम लोगों के रहने की व्यवस्था की जानी चाहिए। जब तक हम लोगों को दूसरी जगह घर नहीं दिए जाएंगे. तब तक हम अपना घर नहीं छोड़ेंगे। इसके खिलाफ हम प्रदर्शन करते रहेंगे. उन्होंने दाे टूक कहा कि अपने घरों को हम तोड़ने नहीं देंगे। कांग्रेस के पूर्व विधायक राजकुमार का कहना है कि इसके खिलाफ वह मुख्यमंत्री आवास भी कूच करेंगे।
वही सरकार का कहना है कि रिस्पना-बिंदाल एलिवेटेड रोड को लेकर सभी पक्षों के हितों को ध्यान में रखकर योजना पर काम किया जा रहा है। योजना पर काम तेजी से आगे बढ़े इसे लेकर भी सभी एजेंसियां समन्वय बनाकर काम कर रही हैं और इसकी निगरानी भी की जा रही है। पुनर्वास और विस्थापन में किसी का अहित न हो इसके लिए टीमें ग्राउंड पर काम कर रही हैं। सभी प्रभावितों को एक नीति के तहत पुनर्वास, विस्थापन और मुआवजा तय किया जाएगा। योजना के तहत प्रभावित लोगों का ध्यान रखा जा रहा है। वहीं नगर आयुक्त नमामि बंसल ने कहा है कि एलिवेटेड रोड को लेकर जिन भवन को नोटिस दिए गए हैँ. उन सभी भवन स्वामियों को आपत्ति दर्ज कराने का भी समय दिया गया है।
एक और सरकार जहां दावा कर रही है कि एलिवेटेड रोड परियोजना के बन जाने के बाद देहरादून को जाम की समस्या से निजात मिलेगा लेकिन दूसरे और लगातार हो रहे विरोध के चलते अब देखना होगा कि इस परियोजना पर कब तक कार्य शुरू हो पता है। और यह परियोजना सच में राजधानी देहरादून को जाम की समस्या से निजात दिलाने में ब्रह्मास्त्र साबित होगी। क्या सरकार मलिन बस्तियों पर बुलडोजर चलाने से पहले उनके आवास के लिए कोई ठोस प्रबंध करेगी। क्या भारी जन विरोध के बीच यह परियोजना अपना मूर्त रूप ले पाएगी या केवल फाइलों पर ही सिमट कर रह जाएगी। ऐसे कई तमाम सवाल अभी भी हैं जिन पर उत्तर आना बाकी है लेकिन उत्तर के नाम पर है तो केवल प्रश्न चिन्ह।