गर्मी ने सताया, बिजली-पानी ने रूलाया !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, देशभर में प्रचंड गर्मी का कहर जारी है। आलम ये है कि देश की राजधानी दिल्ली का पारा 52 पार चला गया है। दिल्ली जैसा ही हाल देश के अन्य राज्यों का भी है। जहां भीषण गर्मी ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए है। चिंता की बात ये है कि मैदानी राज्य ही नहीं बल्कि हिमालय राज्य भी प्रचंड गर्मी की चपेट में आ गए हैं। ऐसा ही कुछ उत्तराखंड का हाल है जहां गर्मी ने अबतक के सभी रिकार्ड ध्वस्त कर दिए हैं। देहरादून में बुधवार को तापमान ने 11 सालों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए ऑलटाइम रिकॉर्ड को छुआ है। वहीं इस भीषण गर्मी ने पर्यावरण के प्रति लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। विकास के नाम पर हुए अंधाधूंध पेड़ कटान की वजह से लोगों को छाया के लिए पेड़ तक नहीं मिल रहे हैं। इस बीच देहरादून के नालापानी स्थित खलंगा में हजारों पेड़ों का कटान किया जाना है। खलंगा वन क्षेत्र में सौंग परियोजना के तहत वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के लिए साल के पेड़ों को काटने की तैयारी है। इसके लिए कई हजार पेड़ों को जाना है। सरकार के इस फैसले का विरोध भी लगातार किया जा रहा है। वहीं पर्यावरणविदों ने पहाड़ से लेकर मैदान तक बढ़ते तापमान पर गहरी चिंता जताई है। साथ ही पहाड़ों में वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं और पेड़ों के कटान को इसके लिए जिम्मेदार बताया है। सवाल ये है कि क्या विकास के नाम पर हो रहे अंधाधुंध पेड़ों का कटान कही विनाश का कारण तो नहीं बन रहा है।

भीषण गर्मी ने लोगों ने परेशान कर दिया है। आलम ये है कि हिमालय राज्य उत्तराखंड भी लू की चपेट में है। प्रदेशभर में हीटवेव जैसे हालात हो रखे हैं। आगे भी तापमान में इसी तरह की बढ़ोतरी की संभावना है। राज्य के पहाड़ी और मैदानी इलाकों में तापमान सामान्य से सात डिग्री ज्यादा दर्ज किया गया। देहरादून में बुधवार को तापमान 43 डिग्री दर्ज किया गया, जो सामान्य से 7.2 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है। दून का ऑलटाइम रिकॉर्ड तापमान तीस मई 2012 को 43.1 डिग्री दर्ज किया गया था। जबकि बुधवार को पंतनगर में तापमान 42, टिहरी में 31.6 और मुक्तेश्वर में 29.5 डिग्री रहा। रुड़की में अधिकतम तापमान 42.5 डिग्री दर्ज किया गया। मौसम विभाग के निदेशक डॉ.बिक्रम सिंह ने बताया कि 30-31 मई को भी प्रदेश में भीषण गर्मी पड़ेगी।

वहीं इस भीषण गर्मी की वजह से प्रदेशभर में बिजली-पानी की भारी कटौती देखने को मिली है। बिजली पानी की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जलाश्य सूखते जा रहे हैं। इस बीच राज्य में सियासत भी गर्मा गई है। हरीश रावत ने बिजली पानी की कटौती के खिलाफ मौन उपवास रखा है। वहीं भीषण गर्मी के बीच खबर आ रही है कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण के लिए देहरादून में हजारों साल के पेड़ों को काटने की तैयारी है। वहीं पर्यावरणविदों का कहना है कि विकास के साथ ही पर्यावरण का संतुलन बनाना बेहद जरुरी है। पर्यावरण की अंदेखी पूरी मानव जाती है लिए विनाश का कारण बनेगी।

कुल मिलाकर धरती पर बढ़ता तापमान बेहद चिंता की बात है। विकास के साथ ही पर्यावरण का संतुलन बेहद जरूरी है। इस भीषण गर्मी ने पूरी मानव जाति को सोचने पर मजबूर किया है कि क्या हम धरती को रहने लायक रखेंगे या नहीं। क्या उत्तराखंड का 43 और दिल्ली का 52 डिग्री तापमान होने के बाद भी सरकार पर्यावरण की गंभीरता नहीं समझेगी, क्या ये विकास, विनाश का कारण तो नहीं बन रहा है।

 

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