बागेश्वर,उत्तराखंड के बागेश्वर के काण्डा स्थित प्रसिद्ध मां कालिका मंदिर क्षेत्र में हो रहे खड़िया खनन का प्रभाव दिखने लगा है. शंकराचार्य द्वारा स्थापित इस मंदिर में मां काली का शक्तिपीठ लगभग दो इंच खिसक गया है. साथ ही मंदिर के तल में दरार दिखने लगी है, जिससे मंदिर का एक हिस्सा झुक रहा है.
काण्डा में मां कालिका का प्रसिद्ध मंदिर है, जिसकी स्थापना शंकराचार्य ने 10वीं सदी में की थी. बाद में स्थानीय लोगों ने आपस में सहयोग से इस मंदिर का निर्माण कराया और पर्यटन विभाग ने भी इसका निर्माण कराकर यहां विशाल मंदिर की स्थापना की. रघुवीर सिह माजिला द्वारा मुख्यमंत्री और प्रदेश के पर्यटन मंत्री को इस संबंध में पत्र लिखकर ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की मांग की. अब सीएम के आदेश पर बागेश्वर का जिला प्रशासन हरकत में आया और बागेश्वर की डीएम अनुराधा पाल ने काली मंदिर का निरीक्षण किया, जहां पुजारी वीरेंद्र कांडपाल, मन्दिर कमेटी अध्यक्ष रघुवीर माजिला व अर्जुन माजिला ने उन्हें खनन से हुए नुकसान की जानकारी दी. ग्रामीणों ने कहा कि क्षेत्र में खान मालिकों द्वारा अवैध तरीके से खनन किया जाता है. रात दिन मशीनें खनन क्षेत्र से लगी हुई हैं, जबकि यहां पर प्रशासन व शासन द्वारा खनन की अनुमति ही नहीं देनी चाहिए थी. यदि खनन बंद नहीं किया गया और मंदिर के सुरक्षा को देखते रोकथाम के उपाय नहीं किए गए तो मंदिर समेत काण्डा के कई मकानों को खतरा है. उन्होंने मंदिर में आई दरारों, शक्तिपीठ के जमीन खिसकने व अन्य नुकसान की जानकारी जिलाधिकारी को दी. डीएम ने स्थिति देखने के बाद तुरंत खनन क्षेत्र में जेसीबी के प्रयोग पर भी रोक के आदेश दिए हैं. साथ ही कहा कि इसकी जांच के साथ ही सुरक्षा उपाय के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे. जल्द ही भू वैज्ञानिकों से रिपोर्ट मांगी जाएगी.