उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखण्ड विधानसभा के भराड़ीसैंण स्थित विधान सभा भवन में मानसून सत्र का पहला दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया था। नैनीताल में हुए पंचायत चुनाव और उत्तरकाशी के धराली में आई आपदा को लेकर सरकार से जवाब की मांग कर रही कांग्रेस के तेवर बेहद आक्रामक रहे। कांग्रेस के सदस्य वेल में जा पहुंचे और जमकर नारेबाजी की। और उन्होंने मेज पलटने की भी कोशिश की। विधानसभा अध्यक्ष ने सदस्यों से बार-बार शांत रहने की अपील की, लेकिन इसका असर नहीं हुआ। इस दौरान कई बार कार्यवाही स्थगित करनी पडी। विधानसभा मानसून सत्र के पहले ही दिन की कार्रवाई दौरान उत्तराखंड के इतिहास में यह पहली बार देखने को मिला है जब विपक्ष के नेता सदन के भीतर ही धरने पर बैठे हो और वही रात गुजारी हो. हालांकि सदन के भीतर धरने पर बैठे विपक्षी विधायकों को मुख्यमंत्री ने फोन कर मनाने की कोशिश भी की लेकिन विपक्ष के विधायक विधानसभा के भीतर ही डटे हुए हैं.वही दो दिनों से सदन न चलने देने को लेकर सत्ता पक्ष ने भी विपक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है सदन न चलने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने सामने आ गया है जो इतिहास में विधानसभा के भराड़ीसैंण में पहली बार देखने को मिल रहा है. जिसको लेकर राजनीति गरमा गई है। वही आज सदन पर ग़दर होने के चलते विधानसभा को अनिश्चित कालीन के लिए स्थगित कर दिया गया है.
उत्तराखंड के भराड़ीसैंण स्थित विधान सभा में कल पहले दिन सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेसी विधायकों ने तेवर दिखाने शुरू कर दिए थे। उन्होंने नैनीताल में हुए पंचायत चुनाव की धांधली और उत्तरकाशी की आपदा को लेकर सरकार से जवाब मांगना शुरू किया। सत्र के आरंभ होते ही हंगामा बढ़ गया और वे वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। इस दौरान टेबल पलटने का भी प्रयास किया। सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की. इस हंगामे के चलते विधानसभा अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी। जब हंगामा बढ़ा तो स्पीकर खंडूड़ी को विपक्ष से अपील करनी पड़ी कि आप लोग सरकारी संपत्ति को नुकसान न पहुंचाएं. यह जनता की गाढ़ी कमाई से खरीदी गई है। विपक्षी के विधायकों में जिनमें सुमित हृदयेश और भुवन कापड़ी प्रमुख थे. उनका कहना था कि वे सदन में नेता विपक्ष का सम्मान चाहते हैं और नैनीताल में हुई घटनाओं पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। मानसून सत्र के पहले दिन के शुरुआती घंटों में ही विपक्ष ने जिस तरह से अपने तेवर दिखाए हैं. उससे प्रतीत हो रहा है कि सत्र में विपक्ष अपनी धार तीखी ही रखना चाहता है। विपक्ष द्वारा आज भी सदन के बाहर और अंदर दोनों जगह कानून व्यवस्था का शोर सुनाई दिया विपक्ष ने इस मामले में नियम 310 के तहत सदन में चर्चा की मांग की जिसे स्वीकार नहीं किया गया जिससे नाराज विपक्ष के विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया दिन भर की कार्रवाई के दौरान विपक्ष हंगामा करता रहा जिसके कारण कई बार सदन की कार्रवाई को स्थगित करना पड़ा हालांकि विपक्ष के हंगामे के बीच सरकार ने 5315 करोड़ का अनुपूरक बजट भी पेश कर दिया इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष के हंगामा को देखते हुए सदन को बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया था। विधानसभा अध्यक्ष के मानसून सत्र के पहले दिन की कार्रवाई स्थगित करने से विपक्षी दल के सभी विधायक नाराज हो गए और सदन के भीतर ही धरने पर बैठ गए हालांकि इस दौरान देर रात उनसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बातचीत करते हुए धरना खत्म करने की भी गुजारिश की लेकिन विपक्षी विधायक नहीं माने. विपक्षी दल के विधायक बार-बार मांग कर रहे हैं कि सदन की अवधि को बढ़ाया जाए और नियम 310 के तहत कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सदन में चर्चा की जाए. वहीं सदन में चल रहे इस धरने में कांग्रेस के 19 विधायकों के साथ निर्दलीय विधायक उमेश कुमार भी शामिल हो गए थे. जिससे पता चलता है कि किस तरह सदन के भीतर विपक्षी दल सरकार के खिलाफ एकजुट हैं।
वहीं मानसून सत्र के पहले दिन की कार्रवाई स्थगन के बाद विपक्षी विधायकों के सदन के भीतर चल रहे धरने पर विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी भूषण ने कहा कि सदन के भीतर धरना देकर विपक्षी दलों के विधायक जनता में गलत मैसेज दे रहे हैं जबकि सभी विपक्षी विधायकों को सदन स्थगन होने के बाद सदन से बाहर आना चाहिए था और बाहर आकर सभी विधायक धरना दे सकते थे क्योंकि सदन स्थगित होने के बाद विधानसभा में ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों को अगले दिन की कार्रवाई की तैयारी करनी होती है।
बता दे कि उत्तराखंड के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है जब सत्ता पक्ष और विधानसभा अध्यक्ष से नाराज विपक्ष के विधायकों ने विधानसभा के भीतर ही पूरी रात गुजारने का फैसला किया हो. वैसे इन सभी नाराज विपक्ष के विधायकों को मनाने की भी बहुत कोशिश की गई. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य से फोन पर बातचीत करते हुए उन्हें मनाने की कोशिश की. लेकिन विपक्ष के नेता मानने को तैयार नहीं हुए. उनकी मांग है कि सदन की अवधि को बढ़ाया जाए और नियम 310 के तहत कानून व्यवस्था पर चर्चा की जाए। अब देखना होगा सत्ता पक्ष ने विपक्ष को सदन में बोलने का मौका नहीं दिया . उसके बाद फिर यह विधानसभा का सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया। आज सदन पर ग़दर होने के चलते विधानसभा को अनिश्चित कालीन के लिए स्थगित कर दिया गया है. लेकिन विपक्ष अभी भी विधानसभा के बाहर सरकार की नीतियों को लेकर डाटा है।