मीठी जलेबी, फीकी हार, धामी की दहाड़ !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने उत्तराखंड की सियासत को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है। दअरसल केदारनाथ विधानसभा में होने वाले उपचुनाव से पहले हरियाणा में जीत की उम्मीद लगा बैठी कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. हरियाणा में मिली हार से एक ओर जहां कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में जहां मायूसी है तो वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं का उत्साह और भी ज्यादा बढ़ गया है। यही वजह है कि भाजपा ने केदारनाथ उपचुनाव में भारी बहुमत के साथ जीत के दावे भी शुरू कर दिये हैं। वहीं कांग्रेस अब नए सिरे से गुणा भाग में लग गई है। साथ ही जिताऊ प्रत्याशी की खोज में सर्वे का कार्य भी कांग्रेस ने शुरू कर दिया है। वहीं हरियाणा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से जिन जिन विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार प्रसार किया गया वहां पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया है। भाजपा का कहना है मोदी और धामी की जोड़ी ने पार्टी को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस बीच मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर उन्हें जीत की बधाई देने के साथ ही उत्तराखंड के विकास से संबंधित जल विद्युत परियोजना और रोपवे परियोजना आदि से संबंधित एक मांग पत्र भी सौंपा….साथ ही प्रधानमंत्री से इन कार्यों की अनुमति प्रदान करने का अनुरोध भी किया.हांलाकि कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र से राज्य को कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। जिन भी परियोजनाओं को लेकर मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री के पास गये हैं। वो तमाम परियोजनाओं को लेकर सीएम धामी पहले भी जा चुके हैं। वहीं कांग्रेस का कहना है कि हरियाणा में मिली हार से सबक लेकर वह केदारनाथ उपचुनाव की रणनीति तैयार करेंगे सवाल ये है कि क्या हरियाणा में मिली हार से कांग्रेस सबक लेगी, क्या कांग्रेस के उपचुनाव में जीत के दावे हवा हवाई है।

 केदारनाथ उपचुनाव से पहले हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव के बाद उत्तराखंड की राजनीति में नए सिरे से हार-जीत का गुणा भाग शुरू हो गया है। हरियाणा में पूरी तरह से जीत के लिए आश्वस्त कांग्रेस को दिन ढ़लते ढ़लते हार का अहसास होने लगा…हांलाकि कांग्रेस हरियाणा में भाजपा को मिली जीत को ईवीएम का नतीजा बता रही है। लेकिन अपनी कमी कहां रह गई इसको नहीं बता रही, अब भले ही कांग्रेसी ईवीएम पर सवाल उठा रहे हों लेकिन भाजपा को इसे मोदी और धामी का करीशमा बता रही है। भाजपा का कहना है कि हरियाणा में मिली जीत सरकार के जनकल्याण के लिए किये गये कार्यों पर मुहर है। और जीत का असर उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा में होने जा रहे उपचुनाव पर भी पड़ेगा

आपको बता दें कि केदारनाथ से भाजपा विधायक शैला रानी रावत का जुलाई में निधन होने के बाद अब माना जा रहा है कि किसी भी वक्त चुनाव आयोग केदारनाथ उपचुनाव की घोषणा कर देगा…इसी बीच मुख्यमंत्री धामी ने केदारनाथ में चुनावी प्रचार प्रसार शुरू कर चुनावी बिगुल फूंक दिया है। साथ ही राज्य की जनता को डबल इंजन की ताकत का अहसास कराने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री धामी ने पीएम मोदी से भी मुलाकात की इस दौरान उन्होने हरियाणा में मिली जीत की बधाई देने के साथ ही उत्तराखंड के विकास से संबंधित तमाम जलविद्युत परियोजनाओं को शुरू करने के साथ ही रोपवे कार्यों को शुरू करने की अनुमति प्रदान करने का अनुरोध किया है। हांलाकि तमाम विपक्षी दल इसपर सवाल खड़े कर रहे हैं

कुल मिलाकर हरियाणा के नतीजों ने भाजपा कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार किया है लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं में निराशा का भाव पैदा किया है। निश्चित ही हरियाणा में जीतने से कांग्रेस के लिए केदारनाथ की राह आसान हो सकती थी लेकिन हरियाणा में मिली हार ने कांग्रेस के सभी दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या हरियाणा में मिली हार से कांग्रेस पार्टी कोई सबक लेगी, आखिर क्या ओवर कॉन्फिडेंस कांग्रेस की हार का कारण रहा,क्या कांग्रेस के उपचुनाव में जीत के दावे हवा हवाई है, आखिर जम्मू-कश्मीर में धामी और मोदी की जोड़ी का कमाल क्यों नहीं दिखाई दिया.

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