उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, हल्द्वानी में हुई हिंसा के बाद अब हालात सामान्य होते जा रहे हैं। सरकार ने हल्द्वानी शहर के बाहरी इलाकों से कर्फ्यू हटा लिया है हांलाकि बनभूलपुरा क्षेत्र में यह लागू रहेगा जहां बृहस्पतिवार को एक अवैध मदरसे को तोड़े जाने को लेकर भीड़ ने आगजनी और तोड़फोड़ की थी. शहर के बाहरी इलाके में दुकानें खुलने लगी है। लेकिन स्कूल अब भी बंद हैं.इंटरनेट सेवा भी बंद है। वहीं राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हल्द्वानी पहुंचकर उपद्रव की घटना की स्थिति का जायजा लिया। मुख्यमंत्री ने हल्द्वानी बनभूलपुरा में हुई घटना में घायल महिला पुलिस दल समेत अन्य पुलिसकर्मियों, प्रशासन, नगर निगमकर्मी और पत्रकारों का भी हाल चाल जाना। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने क़ानून तोड़ा है और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है उनके सारे वीडियो फुटेज और फुटप्रिंट उपलब्ध हैं। इस घटना में शामिल सभी उपद्रवियों को चिन्हित कर, उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी..वहीं पुलिस प्रशासन ने इस मामले में पांच हजार से ज्यादा अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज किया है। इसके साथ ही उपद्रवियों एनएसए के तहत कार्रवाई की जाएगी…हांलाकि कांग्रेस ने सरकार की इस कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं। वहीं इस घटना के बाद राज्य में सियासत भी गरमा गई है। इसी के तहत इंडिया एलाइंस के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह से मुलाकात की है। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन प्रेषित किया है। ज्ञापन के माध्यम से हल्द्वानी हिंसा की न्यायिक जांच कराने की मांग की गई है। इसके साथ ही नैनीताल जिले के जिलाधिकारी और एसएसपी को तत्काल निलंबित करते हुए पद से हटाए जाने की भी मांग की है। वही ज्ञापन में राज्य सरकार के अतिक्रमण हटाओ अभियान पर भी सवाल खड़े किए गए हैं…विपक्ष का आरोप है कि सरकार धर्म विशेष को इस अभियान से टारगेट कर रही है…वहीं कांग्रेस ने इस घटना में मृतकों और घायलों को मुआवजा दिए जाने की भी मांग की है। सवाल ये है कि उत्तराखंड के माथे पर ये बदनुमा दाग आखिर किसने लगाया है
उत्तराखंड की शांत वादियों में भी हिंसा की आग धधक रही है। हल्द्वानी में एक अवैध मदरसे और मजार को तोड़े जाने के बाद भड़की हिंसा के बाद हालात सामान्य हो रहे हैं। वहीं सरकार ने हल्द्वानी शहर के बाहरी इलाकों से कर्फ्यू हटा लिया है. हांलाकि बनभूलपुरा क्षेत्र में यह लागू रहेगा जहां बृहस्पतिवार को एक अवैध मदरसे को तोड़े जाने को लेकर भीड़ ने आगजनी और तोड़फोड़ की थी. शहर के बाहरी इलाके में दुकानें खुलने लगी है। लेकिन स्कूल अब भी बंद हैं.इंटरनेट सेवा भी बंद है। वहीं राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हल्द्वानी पहुंचकर उपद्रव की घटना की स्थिति का जायजा लिया। मुख्यमंत्री ने हल्द्वानी बनभूलपुरा में हुई घटना में घायल महिला पुलिस दल समेत अन्य पुलिसकर्मियों, प्रशासन, नगर निगमकर्मी और पत्रकारों का भी हाल चाल जाना। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने क़ानून तोड़ा है और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है उनके सारे वीडियो फुटेज और फुटप्रिंट उपलब्ध हैं। इस घटना में शामिल सभी उपद्रवियों को चिन्हित कर, उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी..
वहीं हल्द्वानी हिंसा मामले में पुलिस प्रशासन ने पांच हजार से ज्यादा अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज किया है। इसके साथ ही उपद्रवियों एनएसए के तहत कार्रवाई की जाएगी…वहीं सरकार ने मजिस्ट्रेट जाँच कराने का भी फैसला किया है। 15 दिनों के भी इसकी रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गये हैं। हांलाकि कांग्रेस ने न्यायिक जांच की मांग की है। वहीं इस घटना के बाद राज्य में सियासत भी गरमा गई है। इसी के तहत इंडिया एलाइंस के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह से मुलाकात की है। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन प्रेषित किया है। ज्ञापन के माध्यम से हल्द्वानी हिंसा की न्यायिक जांच कराने की मांग की गई है। इसके साथ ही नैनीताल जिले के जिलाधिकारी और एसएसपी को तत्काल निलंबित करते हुए पद से हटाए जाने की भी मांग की है। वही ज्ञापन में राज्य सरकार के अतिक्रमण हटाओ अभियान पर भी सवाल खड़े किए गए हैं…विपक्ष का आरोप है कि सरकार धर्म विशेष को इस अभियान से टारगेट कर रही है…
कुल मिलाकर हल्द्वानी में भले ही हालात सामान्य हो जाएं लेकिन हल्द्वानी में हुई हिंसा अपने पीछे कई सवाल खड़े कर गई है। सवाल ये है कि आखिर किसने उत्तराखंड के माथे पर ये हिंसा का बदनुमा दाग लगाया है। सवाल ये है कि आखिर क्यों शासन प्रशासन ने पहले से सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता इंतजाम नहीं किए..सवाल ये है कि आखिर जब ये मामला कोर्ट में विचाराधीन है जिसकी अगली सुनवाई 14 फरवरी को थी ऐसे में सुनवाई से पहले ही ध्वस्तीकरण की कार्रवाई क्यों की गई