KNEWSDESK- जब से रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तारीख का ऐलान हुआ, तब से राम मंदिर को लेकर सियासत शुरु हो गई है। विपक्षी नेता नरेंद्र मोदी को निमंत्रण मिलने पर सवाल खड़े कर रहे हैं। ऐसे में जमीयत उलेमा – ए -हिंद के चीफ मौलाना महमूद ने उद्घाटन समारोह में जाने का विरोध किया। इसके बाद इनका सर्मथन करते हुए एसटी हसन का भी बयान आया। सपा सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक संवैधानिक पद पर बैठे हैं, इसलिए उन्हें मंदिर का उद्घाटन करने नहीं जाना चाहिए।
सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक संवैधानिक पद पर बैठे हैं, इसलिए उन्हें मंदिर का उद्घाटन करने नहीं जाना चाहिए । यह उनकी गरिमा के खिलाफ है। वह लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री हैं, जिसमें हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सभी धर्मो के लोग रहते हैं।
करोड़ों लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए फैसला
सांसद एस टी हसन ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते लेकिन यह कोर्ट ने भी माना है । जिस जगह बाबरी मस्जिद थी। वहां पर उसके नीचे किसी मंदिर के अवशेष नहीं मिले हैं। इसके साथ ही किसी मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद नहीं बनाई गई थी, लेकिन कोर्ट ने करोड़ो लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए फैसला किया है और मुस्लिम समुदाय को भी मस्जिद के लिए एक जगह दी है।
इंसाफ नहीं हुआ
सपा सांसद एस टी हसन ने कहा कि इसलिए हम यह मानते हैं कि यह एक फैसला हुआ है, इंसाफ नहीं हुआ है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि 6 दिसंबर 1992 को एक अपराध हुआ था। वहां ए एस आई ने भी यही माना कि मंदिर के वहां कोई अवशेष नहीं मिले , लेकिन कोर्ट ने एक बड़े विवाद को निपटाने के लिए यह फैसला दिया है। कोर्ट को इंसाफ करना था, लेकिन उसने फैसला किया इसलिए हम जमीयत उलमा – ए – हिंद के बयान का समर्थन करते हैं।