उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी दिशा निर्देश के बाद अब उत्तराखंड राज्य में प्री एस आई आर गतिविधियां शुरू कर दी गई हैं। इस चरण में आगामी विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर प्रारंभिक तैयारियां की जाएगी, साथ ही एसआईआर के दौरान मतदाताओं को किसी प्रकार की असुविधा ना हो इसके देखते हुए हर एक मतदाता तक पहुंचे की कोशिश होगी।विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर उत्तराखंड सभी जिलाधिकारियों, EROs और BLOs को निर्देश दिए गए हैं कि वे मतदाताओं के बीच अपनी पहुंच बढ़ाएं तथा लोगों को SIR प्रक्रिया की जानकारी दें. पहले चरण में प्रदेश की मौजूदा मतदाता सूची में शामिल ऐसे मतदाताओं की पहचान की जा रही है जिनकी उम्र 40 वर्ष तक है और जिनका नाम 2003 की मतदाता सूची में था. इन्हें सीधे BLO ऐप के माध्यम से मैप किया जाएगा. वहीं 40 वर्ष से अधिक आयु के ऐसे लोग जिनका नाम 2003 की सूची में दर्ज नहीं है, उनकी मैपिंग माता-पिता या दादा-दादी के आधार पर ‘प्रोजनी’ कैटेगरी में की जाएगी. 2003 की मतदाता सूची आयोग की आधिकारिक वेबसाइटों पर उपलब्ध है ताकि नागरिक स्वयं भी अपने या अपने परिवार के पुराने रिकॉर्ड देख सकें.वही 2003 की सूची के आधार पर मतदाओं की पहचान को लेकर विपक्षी दलों ने सावल खड़े कर दिए है.विपक्ष का मानना है.की ये सब जनता को दस्तावेजों के आधार प्रताड़ित किया जा रहा है.भाजपा पहले से ही मतदाता सूची से नामो को लेकर इधर उधर करने में माहिर है.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ० बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा अलग-अलग सालों में इससे पहले 11 बार विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम पूरे देश में संपादित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में साल 2003 में एसआईआर किया गया था। आयोग द्वारा पहले चरण में बिहार और दूसरे चरण में 12 अन्य राज्यों में एसआई आर की प्रक्रिया चल रही है। इस पूरी प्रक्रिया के पीछे आयोग का उद्देश्य हर पात्र मतदाता को मतदाता सूची में शामिल करना है.बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने प्रदेश के सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनैतिक दलों से अपने-अपने बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) नियुक्त करने की अपील की है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में 11733 बूथ के सापेक्ष 4155 बीएलए ही नियुक्त हैं। सभी जिलों में हेल्प डेस्क स्थापित की जा रही है, ताकि मतदाताओं को आवश्यक सहायता तुरंत मिल सके।वही विपक्ष ने SIR को लेकर सवाल भी खड़े कर दिए है.कांग्रेस का मानना है.की ये सब जनता को दस्तावेजों के आधार प्रताड़ित किया जा रहा है.भाजपा पहले से ही मतदाता सूची से नामो को लेकर इधर उधर करने में माहिर है.
स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन SIR को लेकर भाजपा ने भी कांग्रेस पर हल्ला बोला है कहा है कि कांग्रेस लगातार बिहार में वोट चोरी का आरोप लगा रही थी. बंगाल में भी वह ऐसा ही आरोप लगा रही थी. अब बिहार के चुनाव परिणाम से साफ पता चलता है कि कांग्रेस के इस नारे से खुद उनको ही नुकसान होने जा रहा है. SIR में वही लोग बाहर हो रहे हैं, जो कि अवैध रूप से दो-दो जगह अपने मतदान का प्रयोग कर रहे हैं. यह सभी अवैध वोटर हैं. इनमें से बांग्लादेश से आए वह लोग हैं. जो कि अवैध रूप से अपने मतदान का प्रयोग कर रहे हैं. साथ ही कांग्रेस सत्ता अपनाने को लेकर SIR से बौखला गई है.इसको लेकर एआईसीसी सदस्य करन माहरा का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न विधानसभाओं में एस आई आर का काम शुरू कर दिया है जिससे भाजपा के नियत पता चलता रहा है, आगे उन्होंने कहा कि जब नाम अभी तक एसआईआर में है नहीं और एस आई आर लागू होगा या नहीं यह पता नहीं है लेकिन सरकार और इलेक्शन कमीशन ने इस पर काम करना अभी से शुरू कर दिया है, विपक्ष के जो नजदीक के लोग हैं उन्हें भाजपा के कार्यकर्ता चिह्नित कर रहे हैं और अपनी पार्टी को लिस्ट भेज रहे हैं ताकि उनके नाम काटे जा सके । आगे उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की भूमिका पहले ही बहुत दाग दार है. और इलेक्शन कमीशन बीजेपी के वर्कर के रूप में आज काम कर रही है। वही अन्य विपक्षी दलों ने SIR में पारदर्शिता से काम करने की सलाह निर्वाचन को दी है.कि वह सरकार के दबाव में कोई काम न करे।
कुल मिला कर SIR को लेकर तैयारियों की शुरुवात प्रदेश में हो चुकी सभी राजनैतिक पार्टियों के साथ निर्वाचन समन्वय बना कर चल रहा है.ताकि भविष्य में कोई फिर बड़ी गलती न हो यही वजह है। की अब सभी जिलाधिकारियों, EROs और BLOs को निर्देश दिए गए हैं. कि वे मतदाताओं के बीच अपनी पहुंच बढ़ाएं तथा लोगों को SIR प्रक्रिया की जानकारी दें. इसके अलावा हर जिले और ERO कार्यालय में एक हेल्प डेस्क बनाया जा रहा है. ताकि मतदाताओं का सत्यापन, नाम जोड़ने या किसी त्रुटि के समाधान में तुरंत सहायता मिल सके. निर्वाचन आयोग का कहना है कि “प्रत्येक मतदाता तक पहुंच, समन्वय और संवाद” अभियान के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आगामी SIR प्रक्रिया सुचारू, निष्पक्ष और बिना किसी असुविधा के पूरी हो सके.