पानी के तरस या वनाग्नि ने डराया !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में फायर सीजन से पहले इस बार प्रदेश का सिस्टम अलर्ट हो गया है। ग्रामीणों के साथ ही युवा व महिला दलों और सभी विभागों को वनों में लगने वाली आग की घटनाओं के लिए सतर्क रहने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। फायर सीजन से पहले उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों में वनाग्नि की रोकथाम के लिए मॉक अभ्यास किया जा रहा है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने मॉक ड्रिल के तहत प्रदेश के अलग-अलग जिलों में विभिन्न स्थानों पर वनाग्नि नियंत्रण के लिए इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम की तैयारियों को परखा जा रहा है। आपको बता दे हर वर्ष उत्तराखंड में 15 फरवरी से फायर सीजन की शुरुआत हो जाती है। साथ ही पेयजल की समस्या से भी प्रदेश की जनता को दो चार होना ही पड़ता हैं जिसके चलते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, अग्नि नियंत्रण के सभी अधिकारियो के साथ बैठक कि सचिवालय में पेयजल और जलागम की बैठक के दौरान आगामी 30 साल की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए राज्य में जलापूर्ति के लिए कार्ययोजना बनाई जाए इसके लिए आदेश भी दिए। वर्षा जल संरक्षण और भू जल स्तर को बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम उठाये जाएं। जल स्रोतों, नदियों और जल धाराओं के पुनर्जीवीकरण के लिए जन सहयोग लिया जाए और इस क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों के सुझाव लेकर उनको आगे की कार्ययोजनाओं में शामिल किया जाए। पेयजल, जल संचय और जल संरक्षण के लिए आगामी 10 सालों और आगामी 30 सालों की आवश्यकताओं के हिसाब से अलग-अलग ठोस प्लान बनाया जाए। एक ओर सरकार फायर सीजन व पेयजल के लिए इतनी तैयारियां कर रही है। लेकिन अभी से वनाग्नि के साथ पानी का संकट प्रदेश में देखने को मिल रहा है विपक्ष का मानना है के हर साल सरकार दावे खूब करती है लेकिन गर्मी बढ़ते ही आम जनता को ही झेलना पड़ता है क्या धामी की ली इन बैठकों का धरातल पर बड़ा असर देखने को मिलेगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कड़े रुख अपनाते हुए सभी विभागों को निर्देशित किया है की जल संचय और जल संरक्षण के लिए आगामी 10 सालों और आगामी 30 सालों की आवश्यकताओं के हिसाब से अलग-अलग ठोस प्लान बनाया जाए। वही अब प्रदेश में बढ़ती गर्मी के साथ ही वनागिनि की घटनाये बढ़ने की संभावना हे इसके मद्देनजर वन विभाग ने वनागिनी से निपटने के लिए सभी तैयारी पूरी कर ली हे। प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन ने बताया कि विभाग ने वनागिनी की रोकथाम के लिए Integrated Command & Control Centre (ICCC) स्थापित किया हे.इसके अलावा Forest Fire Uttarakhand Mobile App विकसित किया गया है। इस एप में 7 हज़ार से अधिक कर्मचारियों ने रजिस्ट्रेशन करा लिया हे। इसके अलावा लोगों को जागरूक करने के साथ ही कई अन्य कदम उठाये गए है वन विभाग में आग बुझाने का काम करने वाले कर्मचारियों के लिए आधुनिक उपकरण भी उपलब्ध कराए गए हैं जिनमें आग न लगने वाले जूते, चश्मा और आग बुझाने के इक्विपमेंट दिए गए हैं। साथ ही वन विभाग की गस्ती गाड़ियों में भी पानी के गैलन रखे गए हैं की आवश्यकता होने पर वह भी मदद कर सकें। अभी तक हल्द्वानी रेंज में तीन घटनाएं आग की प्रकाश में आई है जिनको समय से नियंत्रित कर लिया गया है। विपक्षी पार्टी आगामी पेयजल की समस्या के साथ ही वनाग्नि की घटनाओं को लेकर पहले से ही सरकार को घेरने की योजना तय कर चुकी है। लेकिन सरकार अपनी व्यवस्था को लेकर संतुष्ट है।

 

गर्मियों की सीजन में पानी की किल्लत को देखते हुए उत्तराखंड जल संस्थान के अधिशासी अभियंता प्रशांत भारद्वाज ने बताया कि हमारे द्वारा गर्मी की सीजन में पानी की किल्लत दूर करने के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी गई है उन्होंने आदेश दिए कि कहां कहां पानी की कमी हो सकती है उन स्थानों को चिन्हित कर एस्टीमेट बना ले ताकि बजट की जरूरत होगी तो व्यवस्था की जाएगी इसी क्रम में उत्तराखंड जल संस्थान जल निगम चिन्हित किए हैं। वही सरकार की योजना हर घर नल हर घर जल के तहत ग्रामीणों को पानी नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीणों को पानी कोसो दूर सरकारी नल से पानी ढोने को मजबूर है। चंपावत जनपद के ग्राम पंचायत धूरा में घरों में पानी की किल्लत कें चलते आज भी सरकारी नल से पानी ले जाने को मजबूर होना पड़ रहा है । पानी ढोती ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि वर्षों से गांव में लगा सरकारी नल से ही पानी ले जाना पड़ता है। गांव में पाईप लाइन तो है लेकिन उसमें पानी नहीं आता है।

 

फायर सीजन शुरू होते ही वन विभाग में आग बुझाने का काम करने वाले कर्मचारियों के लिए आधुनिक उपकरण भी उपलब्ध कराए हैं जिनमें आग न लगने वाले जूते, चश्मा और आग बुझाने के इक्विपमेंट दिए गए हैं। साथ ही वन विभाग की गस्ती गाड़ियों में भी पानी के गैलन रखे गए हैं.जिससे आग पर काबू पाया जा सके। वही सरकार की योजना हर घर जल हर घर नल के तहत नहीं मिल पा रहा ग्रामीणों को पानी कोसो दूर सरकारी नल से पानी ढोने को मजबूर हे महिलाएं ,गर्मी आते ही सरकार की टेंशन भी बढ़ गई हे अब देखना होगा इस तपती गर्मियों में महिलाओ के सिर से बोझ और वनाग्नि पर रोक लगाने में धामी सरकार की ये बैठके कितनी कामयाब होगी।