समीक्षा जारी,बदलाव की तैयारी !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में हुए लोकसभा चुनाव के बाद सभी राजनीतिक दलों ने हार-जीत पर मंथन शुरू कर दिया है। इसी बीच मुख्य विपक्षी दल यानि की कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव परिणामों पर विचार विमर्श के लिए आठ जून को दिल्ली में अहम बैठक बुलाई है। इसमें उत्तराखंड से प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता विपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों को बुलाया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड में लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का एक भी प्रत्याशी ना जीत पाने से कांग्रेस प्रदेश संगठन पर सवाल खड़े होने लगे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान बहुत जल्द ही प्रदेश संगठन में बड़ा बदलाव कर सकता है। वहीं इंडिया गठबंधन के पक्ष में माहौल होने के बाद भी उत्तराखंड की पांचों सीटों में एक भी कांग्रेस प्रत्याशी ना जीत पाने के बाद कांग्रेस हाईकमान बेहद नाराज है। इस बीच करन माहरा का कहना है कि वह हाईकमान के सामने सभी तथ्य रखेंगे..साथ ही उनका कहना है कि यदि पार्टी के वरिष्ठ नेता चुनाव लड़ते तो परिणाम अलग होते….बता दें कि प्रीतम सिंह, हरीश रावत, यशपाल आर्य जैसे तमाम दिग्गज नेताओं ने चुनाव लड़ने से इंकार किया था। वहीं इस बीच उत्तराखंड भाजपा में भी अंदरखाने संगठन बदलाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। दअरसल 2024 के लोकसभा चुनाव में मत प्रतिशत के मामले में पार्टी इस बार 2019 जैसा जोरदार प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस बार उत्तराखंड में कुल 56.79 प्रतिशत मत हासिल किए। जबकि, 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को राज्य में 61.66 प्रतिशत वोट पड़े थे। ऐसे में पार्टी के मत प्रतिशत में करीब 5 प्रतिशत की गिरावट आई है। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी महेंद्र भट्ट की जगह किसी दूसरे नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप सकती है। सवाल ये है कि क्या लोकसभा चुनाव के बाद उत्तराखंड में बड़े सांगठनिक बदलाव देखने को मिलेंगे। आखिर कांग्रेस में हार की जिम्मेदार कौन लेगा,

 

 उत्तराखंड में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार पर हाईकमान ने समीक्षा शुरू कर दी है। शनिवार को दिल्ली में कांग्रेस की बड़ी बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में सभी प्रदेशों के चुनाव की समीक्षा की जाएगी। वहीं इस बैठक में उत्तराखंड से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों को बुलाया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड में लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का एक भी प्रत्याशी ना जीत पाने से कांग्रेस हाईकमान बेहद नाराज है। बैठक में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा पार्टी के प्रदर्शन की रिपोर्ट सौंपेंगे…वहीं राज्य की पांचों सीटों में एक भी प्रत्याशी के ना जीत पाने की बड़ी वजह करन माहरा पार्टी के शीर्ष नेताओं के चुनाव ना लड़ने को बता रहे हैं।

 आपको बता दें कि कांग्रेस हाईकमान ने अप्रैल 2022 को करन माहरा को पार्टी का अध्यक्ष बनाया था। पार्टी को उम्मीद थी कि युवा नेतृत्व में पार्टी को मजबूती मिलेगी.. लेकिन ऐसा हुआ नहीं उल्टा पार्टी के कई दर्जन नेताओं ने कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया। इसके अलावा कांग्रेस संगठन लगातार कमजोर होता चला गया। वहीं चुनाव में हार के साथ ही बीते दो सालों में करन माहरा पीसीसी का गठन तक नहीं कर पाए है. वहीं संगठन बदलाव की चर्चा भाजपा में भी चल रही है। दअरसल दअरसल 2024 के लोकसभा चुनाव में मत प्रतिशत के मामले में पार्टी इस बार 2019 जैसा जोरदार प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस बार उत्तराखंड में कुल 56.79 प्रतिशत मत हासिल किए। जबकि, 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को राज्य में 61.66 प्रतिशत वोट पड़े थे। ऐसे में पार्टी के मत प्रतिशत में करीब 5 प्रतिशत की गिरावट आई है। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी महेंद्र भट्ट की जगह किसी दूसरे नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप सकती है।  हांलाकि पार्टी के नेता इस बात से इंकार कर रहे है।

कुल मिलाकर उत्तराखंड में हुए लोकसभा चुनाव के बाद अब जीत हार की समीक्षा शुरू हो गई है। वहीं प्रदेश में लगातार जहां भाजपा जीत की हैट्रिक से खुशी मना रही है तो वहीं उत्तराखंड में कांग्रेस लगातार तीसरी बार अपना खाता प्रदेश में नहीं खोल पाने से मायूस है। सवाल ये है कि क्या कांग्रेस ऐसे स्थिति में आगामी निकाय और उपचुनाव जीत पाएगी। क्या उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को हार की जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए. देखना होगा कि इस हार से कांग्रेस हाईकमान क्या कुछ बदलाव करता है

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