उत्तराखंड- उत्तराखंड में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में निकाय चुनाव पर सियासत एक बार फिर गरमा गई है। दअरसल, राज्य के शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने साफ कर दिया है कि राज्य में निकाय चुनाव अभी नहीं होंगे। सरकार निकाय चुनाव नहीं कराएगी इस बात का अंदेशा पहले से ही लगाया जा रहा है लेकिन सत्तापक्ष के नेताओं का दावा था कि जल्द निकाय चुनाव होंगे। वहीं अब सरकार के ही शहरी विकास मंत्री ने खुद निकाय चुनाव ना कराने की बात कही है। मंत्री के इस ऐलान के बाद विपक्ष सत्तापक्ष पर हमलावर हो गया है कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार ने हार के डर से निकाय चुनाव ना कराने का फैसला लिया है। कांग्रेस का आरोप है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपये के घोटाले और राज्य भर के शहरी क्षेत्रों में विकास की उपेक्षा के बाद जनता की नाराजगी के डर से सरकार निकाय चुनाव टाल रही है। उन्होंने कहा कि पहले समय पर चुनाव कराने का दम भरने वाली सरकार अब खुद ही चुनाव टालने के बहाने बना कर निकायों में प्रशाशक तैनात करने की घोषणा कर रही है। वहीं सत्तापक्ष ने विपक्ष के इन सभी आरोपों का खंडन करते हुए विपक्ष पर हमला किया है। सवाल ये है कि आखिर क्यों सरकार निकाय चुनाव कराने से बच रही है।
उत्तराखंड में एक बार फिर निकाय चुनाव पर सियासी घमासान छिड़ गया है। राज्य के शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने साफ कर दिया है कि राज्य में निकाय चुनाव अभी नहीं होंगे। उनका कहना है कि अभी मतदाता सूची बनाने और निकायों में ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए गठित एकल आयोग ने अपना सर्वे पूरा नहीं किया है। आपको बता दें कि एक दिसंबर को निकायों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। निकाय चुनाव ना कराने पर सरकार इनमें प्रशासक तैनात कर देगी। प्रदेश में करीब 84 नगर निकाय के बोर्ड का कार्यकाल एक दिसंबर को पूरा हो जाएगा। वहीं बीजेपी के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी का कहना है कि सरकार कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए ओबीसी का सर्वे करा रही है। अभी सर्वे का कार्य पूरा नहीं हुआ है। जिसकी वजह से निकाय चुनाव में देरी हो रही है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने एक आदेश में केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए कहा था कि स्थानीय निकायों का पांच वर्षीय कार्यकाल समाप्त होने से छह महीने पहले निकाय चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया जाए, ताकि नए बोर्ड का गठन तय समय के भीतर हो सके। वहीं नैनीताल हाईकोर्ट में भी निकाय चुनाव कराने में हो देरी के विरोध में एक याचिका दायर की गई थी जिसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने भी सरकार को फटकार लगाई थी। बावजूद इसके निकाय चुनाव से पहले की प्रक्रिया पूरी ना होने का हवाला देकर सरकार निकाय चुनाव नहीं कराने जा रही है। ऐसे में राज्य में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस का आरोप है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपये के घोटाले और राज्य भर के शहरी क्षेत्रों में विकास की उपेक्षा के बाद जनता की नाराजगी के डर से सरकार निकाय चुनाव टाल रही है। उन्होंने कहा कि पहले समय पर चुनाव कराने का दम भरने वाली सरकार अब खुद ही चुनाव टालने के बहाने बना कर निकायों में प्रशाशक तैनात करने की घोषणा कर रही है। वहीं सत्तापक्ष ने विपक्ष के इन सभी आरोपों का खंडन करते हुए विपक्ष पर हमला किया है।
कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में निकाय चुनाव पर सियासत एक बार फिर गरमा गई है। उम्मीद यही थी कि सरकार लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव कराने के मूड में नहीं है ऐसे में मंत्री ने साफ कर दिया है कि सरकार अभी निकाय चुनाव नहीं कराएगी और अब सरकार निकायों में प्रशासक तैनात करेगी। सवाल ये है कि क्या सरकार लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव की टेंशन नहीं लेना चाहती, क्या चुनाव से पहले परिणाम की आशंका से सरकार डर गई है?
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